लखनऊ – लम्बे समय से वेतन बढ़ोत्तरी की मांग कर रहे पीजीआई के संविदाकर्मी सोमवार को उग्र हो गए। कर्मियों ने करीब एक घंटे तक कार्य बहिष्कार किया। कैश, रजिस्ट्रेशन काउंटर समेत सैम्पल कलेक्शन के काउंटर बंद कर दिए। इस दौरान कैश जमा करने वाले मरीजों और तीमारदारों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। करीब एक घंटे बाद कर्मी फिर काम पर लौट आए।
संविदा कर्मचारियों का आरोप है कि वह लम्बे समय से पीजीआई में सात से 10 हजार रुपए प्रतिमाह के वेतनमान पर काम कर रहे हैं। उनकी मांग है कि एम्स के संविदाकर्मियों की तर्ज पर उन्हें वेतन दिया जाए। साथ ही संस्थान में नियमित भर्तियों में उन्हें वरीयता मिले। कर्मियों का आरोप है कि उनका प्रतिनिधि मण्डल सोमवार की सुबह पीजीआई निदेशक डॉ. राकेश कपूर से वेतन बढ़ोत्तरी समेत अन्य मांगों के संदर्भ में वार्ता के लिए गया था। निदेशक ने वेतन बढ़ोत्तरी का अधिकार उनके पास न होने की बात कहते हुए वार्ता करने से मना कर दिया।
इससे खफा कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार की चेतावनी देते हुए दोपहर करीब सवा एक बजे से काउंटरों पर कार्य करना बंद कर दिया। इस दौरान मरीजों और तीमारदारों को कैश जमा करने में काफी दिक्कतें हुए। जबकि रजिस्ट्रेशन का समय खत्म होने की वजह से रजिस्ट्रेशन में मरीजों को कोई दिक्कत नही हुई। कर्मियों का आरोप है कि आउट सोर्सिंग के तहत भर्ती करने वाली कम्पनी जीम ने कुछ कर्मियों को नोटिस दिया है। वहीं कम्पनी के कर्मियों का आरोप है कि संविदाकर्मी संगठन के पदाधिकारी लगातार उन्हें धमका रहे हैं।
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