लखनऊ। आग में झुलसे मरीजों के घाव लगातार इलाज के बाद भी ठीक नहीं हो रहो है, तो ज्यादा चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। अब मछली की त्वचा के प्रयोग से इस तरह घाव ठीक हो सकेंगे। यह जानकारी तेलंगाना से आये वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डॉ. केएस मूर्थि ने दी।
द सोसाइटी फॉर वूंड केयर एंड रिसर्च के सहयोग से किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में वूड केयरकॉन 2024 की शुरूआत हुई। कार्यक्रम में डॉ. केएस मूर्थि ने कहा कि आग में झुलसे मरीजों के घाव कई बार तमाम इलाज के बाद भी ठीक नहीं होते है। ऐसे मरीजों में संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। मछली की त्वचा का प्रयोग घाव पर किया जा सकता है। मछली में ओमेगा फैट पर्याप्त मात्रा में होता हे। फैटी कोलाइजेन एसिड भी पाया जाता है। यह बाजार में शोधित होकर आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसका प्रयोग कुछ मरीजों में प्रयोग किया गया है। इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं।
केजीएमयू प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. विजय कुमार ने कहा कि जल्द ही स्किन बैंक शुरू होने जा रहा है। इससे गंभीर मरीजों में त्वचा का प्रत्यारोपण किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि स्किन बैंक खोलने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है। इसके शुरू होने पर गंभीर मरीजों को राहत मिलेगी।
केजीएमयू प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉ. बृजेश मिश्र ने कहा कि आग में झुलसे या फिर रेडियोथेरेपी के बाद कैंसर मरीजों की कई तरह की दिक्कतें बढ़ जाती हैं। घाव हो जाते हैं, जो जल्दी ठीक नहीं होते हैं। ऐसे मरीजों के लिए हाईपर बैरिक ऑक्सीजन थेरेपी वरदान है। इसमें मरीज को ज्यादा प्रेशर से ऑक्सीजन दी जाती है। हाईपर बैरिक चैम्बर मशीन के माध्यम से ऑक्सीजन दी जाती है।
केजीएमयू में दो हाईपर बैरिक मशीनें हैं, इससे गंभीर मरीजों को सफलता पूर्वक इलाज दिया जा रहा हैं। कार्यक्रम में पीजीआई प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. राजीव अग्रवाल, डॉ. अंकुर व डॉ. हर्षवर्धन समेत अन्य डॉक्टर मौजूद रहे।