सुंदर दिखने की चाहत में अब ऐसे भी लेते है मल्टी विटामिन

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न्यूज। त्वचा से लेकर चेहरे तक सुंदर दिखने की चाहत से लोग हर तरह के प्रयोग कर रहे है। सोशल मीडिया से लेकर हर जगह इसका जानकारी दी जा रही है। नये-नये तरीके प्रचलन में आ रहे है। इनमें डाक्टर के परामर्श के बिना मल्टीविटामिन व मिनरल्स का सेवन भी तेजी से हो रहा है। आजकल लोगों के बीच इंट्रावेनस विटामिन का चलन बढ रहा है।

 

 

 

 

जिसे अक्सर मशहूर हस्तियों आैर सोशल मीडिया पर प्रचार के जरिये बढावा दिया जाता है।
इंट्रावेनस यानी कि इंजेक्शन के द्वारा नसों के जरिये लिया जाने वाला़ विटामिन, पोषक तत्व आैर तरल पदार्थ फार्मेसियों के साथ-साथ ब्यूटी स्पा आैर ‘आईवी बार” में दिए जाते हैं। उपयोगकर्ताओं का मानना है कि यह उपचार उम्र बढने के प्रभाव को धीमा कर सकता है, त्वचा को चमका सकता है या उन्हें अच्छा महसूस करा सकता है।
हालांकि क्लीनिकल देखा जाए तो पहले इंट्रावेनस चिकित्सा का इस्तेमाल उन मरीजों के लिए करते थे जिन्हें निगलने में समस्या होती थी। इसके अलावा इंट्रावेनस विटामिन चिकित्सा के फायदों का समर्थन करने वाले प्रमाण सीमित हैं। यह मायने नहीं रखता कि आप विभिन्न तरीके के अतिरिक्त विटामिन लेने के लिए कौन सा तरीका अपनाते हैं, लेकिन इसमें जोखिम है।
विटामिन ए/रेटिनाल आंखों की सेहत के लिए लाभकारी है, लेकिन इसकी मात्रा 300000 आईयू (इकाई) से अधिक होने पर यह नुकसान पहुंचा सकती है। लंबे समय तक होने वाला नुकसान (हाइपरविटामिनोसिस) प्रतिदिन 10 हजार आईयू की अधिक मात्रा से जुड़ा है। इसके लक्षण यकृत को नुकसान, दृष्टिहीनता आदि के रूप में दिखते हैं। इससे गर्भवती महिलाओं में जन्म संबंधी विकार हो सकते हैं।

 

 

 

विटामिन बी-3 तंत्रिका आैर पाचन तंत्र के लिए लाभकारी है, लेकिन इसकी अधिक मात्रा निम्न रक्तचाप की समस्या समेत रक्तवाहिकाओं के फैलने के रूप में दिख सकती है, खासकर हाथ आैर पैर में।
विटामिन बी 6 दिमाग के विकास आैर प्रतिरक्षा समक्षता के लिए जरूरी है, लेकिन इसकी प्रतिदिन 200 मिलीग्राम से अधिक मात्रा में इसके सेवन से ‘पेरीफेरल” तंत्रिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।
विटामिन सी एक एंटी-ऑक्सीडेंट है जो शरीर के ऊतकों की मरम्मत करने में कारगर है, लेकिन इसके अधिक मात्रा में सेवन से किडनी में पथरी समेत अन्य दवाओं से अंत:क्रिया के रूप में दिख सकता है।
विटामिन डी हड्डी आैर दांत के विकास के लिए जरूरी है, लेकिन इसकी अधिक मात्रा से हाइपरकैलकेमिया (खून में कैल्शियम का स्तर सामान्य से अधिक होना) हो सकता है जिसे प्यास लगने के अलावा अधिक मूत्र विसर्जन, कोमा की समस्या होने के साथ मौत भी हो सकती है।

 

 

 

 

 

कैल्शियम हड्डी के विकास के लिए जरूरी है, लेकिन इससे कब्ज आैर पेट संबंधी अन्य समस्याएं हो सकती हैं। इसके अधिक सेवन से हाइपरकैल्शियूरिया (मूत्र में अधिक कैल्शियम की मात्रा), किडनी में पथरी की समस्या या फिर द्वितीयक ‘हाइपोपैराथइरोआइडिज्म” (पैराथायरायड ग्रंथि का कम क्रियाशील होना) की समस्या हो सकती है। विटामिल डी की अधिक मात्रा से जिंक, मैग्नीशियम आैर आयरन के साथ दवा संबंधित अंत:क्रिया हो सकती है। मैग्निशियम मांसपेशियों आैर तंत्रिका के कार्य करने के लिए लाभदायक है, लेकिन इसकी उच्च मात्रा से अतिसार (डायरिया), मिचली, पेट दर्द आदि की समस्या हो सकती है। इसके अलावा यह एंटीबॉयोटिक्स (टेट्रासाक्लीन) से अंत:क्रिया कर सकती है। जिंक स्वाद आैर गंध की क्षमता दुरुस्त रखने के लिए जरूरी है, लेकिन प्रतिदिन 80 मिलीग्राम से अधिक के सेवन से इसका विपरीत असर पड़ने लगता है। प्रतिदिन 100 से 200 मिलीग्राम आयरन के सेवन से कब्ज, चेहरे का काला पड़ना आैर दांत के काला पड़ने की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

 

 

 

लोगों के लिए यह जरूरी है कि वे स्वास्थ्य उत्पादों का सेवन करने से पहले सोच विचार कर निर्णय लें। नियमित व्यायाम आैर संतुलित आहार से हमारी सेहत को ज्यादा फायदा होने की संभावना है आैर यह हमारी जेब पर भी ज्यादा बोझ नहीं डालता।
सप्लीमेंट्स का सेवन करने से पहले चिकित्सक से परामर्श लेना विपरीत प्रभाव पड़ने के जोखिम को घटा देता है।

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