मां बनने के बाद भी रहिए स्लिम ट्रिम

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Photo Source: http://www.healthline.com/

मातृत्व हर महिला के जीवन में एक अनोखा व अनमोल अनुभव होता है। आज सुडौल, आकर्षक शरीर पाने की चाहत बढ़ रही है, ऐसे में मां बनने के बाद गर्भावस्था से पहले जैसा सुडौल शरीर आज की हर महिला की चाहत होती है। यह एक कठिन काम है क्योंकि मां बनने के बाद हर महिला हारमोनल व शारीरिक बदलाव के साथ ही मानसिक बदलाव से भी गुजरती है।

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मां बनने के बाद महिला का शरीर पहले वाला आकर्षण खो देता है। अगर आप मां बनने के बाद मोटी नहीं दिखना चाहती हैं तो आपको चिता करने की जरूरत नहीं है। थोड़ी सी कोशिश, मेहनत और इच्छा-शक्ति से आप गर्भावस्था से पहले वाली फिटनेस फिर से पा सकती हैं। इसके लिए आपको हर दिन कुछ समय सिर्फ अपने लिए निकालना होगा।

कैसे बने सुपरफिट मां बता रहे हैं फिटनेस एक्सपर्ट नीरज मेहता-

ऐसे पाएं पुरानी काया-

  • बच्चे के जन्म के बाद के छह हफ्ते नई मां के लिए बहुत तनावपूर्ण होते हैं। उन्हें गर्भावस्था की प्रक्रिया के दौरान हुई मानसिक व शारीरिक थकावट से उबरना होता है और अपनी सेहत दुरुस्त करनी होती है। जो महिलाएं पहली बार मां बनती हैं उन्हें ज्यादा तनाव होता है और इस तनाव से उबरना काफी मुश्किल होता है। प्रसव के छह सप्ताह के बाद हल्का-फुल्का व्यायाम शुरू करें। शुरुआत में धीरे-धीरे पांच से दस मिनट के लिए सैर करें। फिर हर हफ्ते के साथ पांच मिनट बढ़ाती जाएं।
  • सैर करने से शरीर के निचले हिस्से को कुछ मजबूती मिलती है और कुछ हद तक ऊपर के शरीर (धड़) को भी। गर्भावस्था से पहले वाले अनुपात को वापस पाने में नौ महीने से एक साल तक का समय लग जाता है। व्यायाम सहज होने चाहिए और व्यायाम सहजता से करने के लिए वक्ष को उपयुक्त सहारा देने वाला अन्तर्वस्त्र पहना जाना चाहिए।
  • गर्भावस्था के बाद होने वाला पीठ दर्द एक आम समस्या है। बच्चे के जन्म के बाद होने वाली कमजोरी जब शरीर के अन्य रासायनिक, हारमोनल बदलावों से मिलती है, तो पीठ के दर्द का कारण बनता है। ये बदलाव, तनाव व नवजात की देखभाल के कारण होते हैं। जिसे हम ‘स्ट्रेस’ का नाम भी देते हैं। इस पीठ दर्द से बचने के लिए शरीर के ऊपरी भाग की मांसपेशियों को व्यायाम के माध्यम से दुबारा प्रशिक्षित करने की आवश्यकता होती है ताकि वे मजबूत होकर रीढ़ की हड्डी को स्थिरता प्रदान कर सकें। बच्चे के जन्म के बाद पेट लटक जाता है।
  • इसके लिए भी हल्का व्यायाम करें। स्तनपान करवाने वाली माएं, जिन्हें स्तनों में किसी भी प्रकार का दर्द है या पेट में दर्द है वे व्यायाम न करें। व्यायाम शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।

स्त्री रोग विशेषज्ञ  डॉ. पुष्पलता शंखवार का कहना है, ‘अगर डिलिवरी सामान्य हुई हो तो डिलिवरी के छह हफ्तों के बाद कोई भी महिला व्यायाम शुरू कर सकती है और अगर डिलिवरी सिजेरियन हुई हो तो तीन महीनों के बाद महिला ऐक्सरसाइज शुरू कर सकती है।’

खानपान संबंधी सुधार

गर्भावस्था के दौरान खानपान बढ़ जाता है, जिसमें कैलोरी की मात्रा अधिक होती है। यदि गर्भावस्था से पहले वाला शरीर वापस पाना है तो केवल व्यायाम काफी नहीं है, संतुलित खानपान भी उतना ही जरूरी है। हमें कुछ जरूरी बातें याद रखनी होंगी। अच्छे पोषण पर ध्यान दें न कि केवल वजन घटाने पर। हमेशा ऐसी चीजें खाएं जिनमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर ज्यादा हो।

खानपान कैसा हो

डिलिवरी के बाद अपने शरीर को स्लिम रखने के लिये डॉ. पुष्पलता शंखवार बताती हैं कि आप प्रोटीनयुक्त भोजन करें तो ज्यादा फायदा होगा। हम जो भोजन करते हैं उस में 6०% कार्बोहाइड्रेट और 25 से 4०% वसा होती है जबकि प्रोटीन कम होता है। कार्बोहाइड्रेट व वसा की मात्रा कम कर के यदि प्रोटीन की मात्रा बढ़ा दें तो मोटापा आसानी से कम किया जा सकता है। पनीर, अंकुरित अनाज, फाइबरयुक्त रेशेदार अंकुरित अनाज और पपीता खाने में यह खाये।

हरी पत्तेदार सब्जियां लौहयुक्त होती हैं। इन्हें खाने से डिलिवरी के बाद लौह की कमी से होने वाले एनीमिया से बचाव होता है। महिलाओं को प्रतिदिन 1०० ग्राम हरी सब्जियां जरूरी खानी चाहिए। ये हमारे इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाती हैं और आंखों के लिए भी लाभदायक होती हैं। ये ब्रैस्ट कैंसर व लंग्स कैंसर की रोकथाम में भी कारगर हैं। सब्जियों में फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है।

6 हफ्तों के बाद करें ये व्यायाम-

  • एबडोमनल एंड बैक स्ट्रेचिग
  • एबडोमनल क्रंचिज पल्सिंग
  • एबडोमनल ब्रेसिग विद डबल हील स्लाईड
  • एबडोमनल ब्रेसिग विद डबल

वजन नियंत्रण न करने पर हो सकती हैं बीमारियां भी

क्वीन मैरी अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. पुष्पलता शंखवार बताती हैं कि मां बनने के एक साल के अन्दर महिलाओं ने अगर अपने वजन पर नियंत्रण नहीं किया तो उन्हें हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसी कई बीमारियां घेर सकती हैं। वे कहती हैं कि मां बनने के एक साल के अंदर महिलाओं ने अगर अपने वजन पर नियंत्रण नहीं किया तो उन्हें हृदयरोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसी कई बीमारियां घेर सकती हैं। मां बनने के बाद पहले तीन महीने सुरक्षित होते हैं।

महिलाओं के लिए मां बनने के बाद के पहले तीन महीने सुरक्षित होते हैं क्योंकि इस दौरान उनके शरीर में उतने बदलाव नहीं होते इसलिए हृदयरोग, मधुमेह या उच्च रक्तचाप का खतरा इस दौरान उतना अधिक नहीं रहता है। तीन महीने बाद शरीर में उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और इंसुलिन की सक्रियता काफी बढ़ जाती है और उनके हृदय संबंधी रोग से ग्रसित होने का खतरा काफी बढ़ जाता है।

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