नए प्रस्ताव को कैबिनेट की हरी झंडी
लखनऊ। प्रदेश में कही भी अब जमीन, मकान, फ्लैट, दुकान आदि भू-सम्पत्तियों की लागत के साथ ही खरीद फरोख्त में रजिस्ट्री करवाने के लिए लगने वाले स्टाम्प शुल्क को जिलाधिकारी निर्धारित करवाएंगे। सोमवार को कैबिनेट में स्टाम्प व रजिस्ट्री विभाग द्वारा दिए गए प्रस्ताव को हरी झंडी मिल गयी है। इस प्रस्ताव के पास होने के बाद प्रॉपर्टी डीलर और जमीन मकान खरीद-फरोख्त से जुड़े लोगों में हड़कंप मच गया है।
कैबिनेट के इस महत्वपूर्ण निर्णय के बाद अब प्रदेश में कही भी भू-सम्पति की कीमत तय करने और रजिस्ट्री करवाते समय उस पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क को तय करने में विवाद नहीं होंगे।
उन्होंने बताया कि अब कोई भी प्रदेश में किसी जिले में या कहीं भी कोई जमीन, मकान, फ्लैट, दुकान आदि खरीदना चाहेगा ,तो सबसे पहले उसे संबंधित जिले के जिलाधिकारी को एक प्रार्थना पत्र देना होगा और साथ ही ट्रेजरी चालान के माध्यम से कोषागार में 100 रुपये का शुल्क जमा करना होगा। उसके बाद जिलाधिकारी (डीएम) लेखपाल से उस जमीन की डीएम सर्किल रेट के हिसाब से मौजूदा कीमत का मूल्यांकन करवाया जाएगा। उसके बाद उस सम्पत्ति की रजिस्ट्री पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क का भी लिखित निर्धारण होगा।
स्टांप मंत्री का कहना है कि अभी तक व्यवस्था के तहत कोई व्यक्ति भूमि, भवन खरीदना चाहता था, तो उस भू-सम्पत्ति का कीमत कितनी है । इसको लेकर भ्रम की स्थिति बनी रहती है। प्रापर्टी डीलर, रजिस्ट्री करवाने वाले वकील, रजिस्ट्री विभाग के अधिकारी से सम्पर्क करता थे। इसके बाद उस जमीन की मौखिक तौर पर उस भवन या भूमि की कीमत तय हो जाती थी, उसी आधार पर उसकी रजिस्ट्री पर स्टाम्प शुल्क लग जाया करता था।
अक्सर बाद में विवाद की स्थिति पैदा होती थी कि भू-संपत्ति की की लागत इतनी नहीं ,बल्कि जितनी होनी चाहिए थी । इस लिहाज से इसकी रजिस्ट्री पर स्टाम्प शुल्क कम वसूला गया। इस कारण प्रदेश के स्टाम्प व रजिस्ट्री विभाग में ऐसे मुकदमों की संख्या बढ़ती जा रही थी। जिस पर रोक लगाई जा सकेगी।