लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में भी मरीजों की सांसे उधार आक्सीजन पर टिकी हुई है। यहां पर चल रहे लिक्विड आक्सीजन प्लांट में आक्सीजन की आपूर्ति करने वाले कम्पनी को अभी लगभग 40 लाख रुपये का भुगतान नहीं हो पाया है। हालंाकि केजीएमयू प्रशासन का दावा है कि यहां पर लिक्विड आक्सीजन प्लांट के लिए भुगतान किया जाता रहता है। इसके अलावा आक्सीजन सिलेंडर भी लगे रहते है।
केजीएमयू में सेंट्रल आक्सीजन सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए लिक्विड आक्सीजन प्लांट लगाये जा चुके है। इनमें ट्रामा सेंटर, मेडिसिन विभाग, लारीकार्डियोलॉजी, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग में लगे हुए है। इनमें सबसे ज्यादा आक्सीजन ट्रामा सेंटर में आपूर्ति की जाती है। यहां पर लगे लिक्विड आक्सीजन प्लंाट से आक्सीजन जाती है। इसके साथ ही शताब्दी अस्पताल में अपना सेंट्रल आक्सीजन सिस्टम है। शताब्दी फेज टू को लिक्विड आक्सीजन प्लांट से जोड़ दिया जाएगा। आक्सीजन प्लांट प्रभारी डा. संदीप तिवारी बताते है कि ट्रामा सेंटर में एक सप्ताह में लिक्विड आक्सीजन प्लांट में अाक्सीजन को भरना पड़ता है।
इसके अलावा मेडिसिन विभाग में भी लगे लिक्विड आक्सीजन प्लांट में भी दस से बारह दिन में लिक्विड आक्सीजन भरी जाती है। इसके साथ ही पल्मोनरी विभाग के लिक्विड आक्सीजन प्लंाट में 15 से बीस दिन में आक्सीजन भरी जाती है। उन्होंने बताया कि मानकों के अनुसार कम्पनी चालीस प्रतिशत गैस बचने पर तत्काल आक्सीजन भर दी जाती है। बताया जाता है कि लिक्विड आक्सीजन प्लांट की आक्सीजन गैस भरने वाली कम्पनी का लगभग 40 लाख रुपये बकाया है।
सूत्र बताते है कि कम्पनी ने कई बार भुगतान करने के लिए कहा है लेकिन बजट की कमी बता कर भुगतान रोक दिया गया है। भुगतान करने का जल्द ही आश्वासन दिया गया है। इस बारे में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एस एन शंखवार का कहना है कि भुगतान सभी का किया जा रहा है। कही कोई बकाया नहीं है।