रेडियेशन से बचाव के लिए तकनीक जानकारी आवश्यक

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लखनऊ । प्रदेश में पहली बार एक्सरे, एमआरआई सहित अन्य डायग्नोस्टिक उपकरणों के संचालन में रेडियेशन से सुरक्षित रहने व मरीजों की सुरक्षा पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन इंडियन सोसायटी आफ रेडियोग्राफर एंड तकनीशियन्स (एनसीआईएसआरटी- 2018) ने किया। अटल बिहारी कन्वेशन सेंटर में आयोजित पांचवी राष्ट्रीय कार्यशाला में जांच के दौरान रेडियेशन से कैसे बचा जाए आैर बीमारी में मरीज की जांच में कौन- कौन सी सावधानी बरती जाए। विशेषज्ञों के उपकरणों की नयी तकनीक व जांच करने के मानकों की जानकारी दी। कार्यशाला में जल्द शुरु होने वाले टेलीरेडियोग्राफी के बारे में बताया गया।

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कार्यशाला में आयोजन समिति के अध्यक्ष डा. राम मनोहर लोहिया संस्थान के वरिष्ठ डा. धंनजय ने बताया कि नयी तकनीक के उपकरणोंके प्रयोग से रेडियेशन से बचाव किया जा सकता है। अगर जांच करने वाले टेक्नीशियन्स या रेडियोग्राफर प्रशिक्षित हो तो मरीज को रेडियेशन से बचाया जा सकता है। उन्होने बताया कि पहले पेटसीटीस्कैन , मेमोग्राफी, एक्सरे करने में मरीज का रेडियेशन होने की ज्यादा संभावना होती है, परन्तु नयी तकनीक के प्रयोग करने से मरीज कम समय में जांच करके इमेज ली जा सकती है। उन्होंने बताया कि जल्द ही भविष्य में टेलीरेडियोग्राफी की शुरू किये जाने की योजना है। इसमें नोडल सेंटर राम मनोहर लोहिया संस्थान को बनाया जा सकता है।

केजीएमयू के डा. विवेक राय ने बताया कि डायग्नोस्टिक में नये उपकरणों से जांच में तीस मिनट का समय लगता है। अब वही जांच मात्र दस से 15 मिनट में हो जाती है आैर जांच में समस्या को अलग- अलग कोणों से देख कर डाक्टर इलाज भी आसानी से कर सकता है। इसमें खास यह है कि मरीज के रेडियेशन से बचाया सकता है। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के बाद यह सटीक जानकारी होती है कि अंग व किस उम्र के मरीज को कितना रेडियेशन देना है। सोसायटी के सचिव विनोद कुमार ने बताया कि अभी तक सबसे सुरक्षित जांच अल्ट्रासाउंड की कही जा सकती है, इससे कई जटिल भी जांच की जा सकती है, लेकिन इसके लिए प्रशिक्षित होना आवश्यक होता है। अन्य उपरकरणों में रेडियशन होने की ज्यादा आशंका होती हंै। इस लिए गर्भवती महिला की जांच में अल्ट्रासाउंड का प्रयोग किया जाता है।

उन्होंने बताया कि कै थलैब से लेकर सर्जरी तक सटीक जांच की भूमिका ही महत्वपूर्ण होती है। उसी पर सर्जरी या इलाज निर्भर करता है। इस लिए नये उपकरणों से जांच करने के लिए प्रशिक्षित होना आवश्यक है। कार्यशाला में वरिष्ठ रेडियोलाजिस्ट डा. संजय गुप्ता ने बताया कि प्रदेश में पहली एनसीआईएसआरटी- 2018 का आयोजन किया गया है। इसमें लगभग एक हजार से ज्यादा रेडियोग्राफर व तकनीशियन भाग ले रहे है। यह सब विभिन्न राज्यो से यहां पर भाग लेने के लिए आये है। उन्होंने बताया कि डायग्नोस्टिक क्षेत्र में अपडेट रहने की आवश्यकता है। कार्यशाला में कमांडर डेनियल सहित अन्य विशेषज्ञों ने भाग लिया।

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