प्रोसेस्ड फूड बच्चों के स्वास्थ्य को पहुंचा रहे नुकसान

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लखनऊ। बच्चों के खाने में प्रोसेस्ड चीजें और तेज़ असर करने वाले पदार्थों का बढ़ता इस्तेमाल चिंता की बात है। डॉक्टरों का कहना है कि कैफीन, ज्यादा चीनी और एमएसजी (एक स्वाद बढ़ाने वाला पदार्थ) बच्चों के दिमाग के विकास को नुकसान पहुंचा सकते हैं। छोटे बच्चों का दिमाग तेजी से बढ़ता है, और अगर वे ऐसी चीजें खाते हैं तो यह उनके सोचने, समझने और भावनाओं पर बुरा असर डाल सकता है।
कैफीन एक ऐसा पदार्थ है जो सॉफ्ट ड्रिंक, एनर्जी ड्रिंक, पैकेज्ड स्नैक्स और कुछ प्रकार के चॉकलेट में पाया जाता है। यह हमारे दिमाग और नसों को तेज़ करने का काम करता है।

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बच्चों के लिए इसका असर और भी भयानक हो सकता है।
रीजेंसी हेल्थ लखनऊ के पीडियाट्रिशियन डॉ अम्मार जावेद ने कहा, “थोड़ी मात्रा में कैफीन नुकसानदायक नहीं लगती, लेकिन छोटे बच्चों के बढ़ते दिमाग पर यह नींद खराब कर सकती है, घबराहट बढ़ा सकती है और दिमागी विकास में रुकावट डाल सकती है। अगर बच्चे बार-बार कैफीन लेते हैं, तो उन्हें इसकी आदत लग सकती है। फिर जब वे इसे न लें, तो सिरदर्द, थकान और चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण दिख सकते हैं।

चीनी को अक्सर बच्चों को इनाम या ट्रीट के रूप में दिया जाता है, लेकिन यह भी अपने साथ कई तरह के खतरे लाती है। अध्ययनों से पता चला है कि ज्यादा चीनी खाने से बच्चों में चंचलता, मूड बदलना और सोचने-समझने की शक्ति में कमी आ सकती है। मीठी चीजें खाने से खून में शुगर का स्तर ऊपर-नीचे होता रहता है, जिससे बच्चों के व्यवहार में बदलाव आ सकता है, पढ़ाई में ध्यान कम लग सकता है और डिप्रेशन या घबराहट जैसी मानसिक परेशानियों का खतरा बढ़ सकता है। समय के साथ बहुत ज्यादा चीनी मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज़ और दांतों की समस्याएं भी ला सकती है।

मोनोसोडियम ग्लूटामेट एक स्वाद बढ़ाने वाला पदार्थ है जो कई फास्ट फूड और पैकेज्ड खाने की चीजों में पाया जाता है। इसे लेकर चिंता इसलिए है क्योंकि यह दिमाग के लिए नुकसानदायक हो सकता है। जानवरों पर हुई रिसर्च और कुछ नए डेटा बताते हैं कि एमएसजी दिमाग की नसों को जरूरत से ज़्यादा उत्तेजित कर सकता है, जिससे वे कमजोर हो सकती हैं और दिमाग के वो हिस्से प्रभावित हो सकते हैं जो सीखने और याद रखने का काम करते हैं। बढ़ते हुए दिमाग के लिए ऐसे पदार्थ (जिन्हें एक्साइटोटॉक्सिन कहा जाता है) और भी ज्यादा नुकसानदायक हो सकते हैं। हालांकि इंसानों पर और रिसर्च की ज़रूरत है, लेकिन अब तक की जानकारी काफी चिंताजनक है, इसलिए सावधानी बरतना जरूरी है।

उन्होंने कहा कि बच्चों का खाना ऐसा होना चाहिए जो उनके विकास में मदद करे, न कि उसे रोक दे। उनके अनुसार आज हम बच्चों को जो खिलाते हैं, वही उनके शरीर और दिमाग की सेहत का कल तय करता है।

आजकल फटाफट मिलने वाले आसान खाने (कन्वीनियंस फूड) का चलन बढ़ रहा है, जिससे बच्चों के खाने को लेकर सावधानी और भी जरूरी हो गई है। डॉक्टरों की सलाह है कि बच्चों को कैफीन वाले ड्रिंक, पैकेज्ड स्नैक्स और ज्यादा चीनी से दूर रख।

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