पटना व दिल्ली एम्स से लौटने के बाद केजीएमयू में मिला इलाज

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लखनऊ। पटना व दिल्ली एम्स से लौटने के बाद पांच महीने की बच्ची को केजीएमयू के लिम्ब सेंटर स्थित डीपीएमआर विभाग में इलाज मिल सका। यहां के डीपीएमआर विभाग में पहली बार पांच महीने की बच्ची के रीढ़ की हड्डी को सीधा करने का उपकरण बनाया गया है। इतना ही नहीं सीधे बच्ची की कमर पर ही उपकरण को बना दिया गया है। उपकरण लगाने के बाद बच्ची के रीढ़ की हड्डी पूरी तरह से सीधी दिखाई पडऩे लगी है।

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बिहार निवासी लालबहादुर की दुधमुंही बच्ची अनामिका अभी दो माह की ही थी कि उसकी रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन साफ पता चलने लगा। उसके बाद से ही लालबहादुर बच्ची को लेकर पटना एम्स गये। उसके बाद वहां से दिल्ली एम्स गये। लेकिन दोनों ही जगहों से उनकों सिर्फ निराशा ही हाथ लगी। एक परिचित के कहने पर लालबहादुर गुरूवार को बच्ची को लेकर केजीएमयू के आर्थोपेडिक विभाग पहुंचे। वहां पर चिकित्सकों ने देखने के बाद मरीज को डीपीएमआर विभाग भेज दिया। डीपीएमआर विभाग के डा.दिलीप ने मरीज को देखने के बाद पाया कि बच्ची को कांजिनाइटल ेथोरकोलम्बर स्कोलिओसिस बीमारी है।

उसके बाद मरीज को डीपीएमआर विभाग की कार्यशाला में भेज दिया गया। डीपीएमआर विभाग के कार्यशाला प्रबंधक अरविन्द निगम के मुताबिक बच्ची अभी पांच महीने की ही है,ऐसे में उपकरण बनाने के लिए पलास्टर कास्ट लेना मुश्किल था। साथ ही तत्काल उपकरण का निर्माण भी करना था। यदि देर होती तो उम्र बढऩे के साथ ही रीढ़ की हड्डी कड़ी होती जाती। इनसब के बीच निर्णय हुआ कि लो टमप्रेचर पर पीपी सीट से सीधे उपकरण बनाया जाये। जिसके बाद लो टम्प्रेचर ओवन में पीपी सीट को डाला गया और निकालने के बाद पानी से पोंछकर ठंडा किया गया और सीधे बच्ची की कमर पर ही उपकरण बना दिया गया। उपकरण लगने के बाद रीढ़ की हड्डी सीधी दिखाई पडऩे लगी। उन्होंने बताया कि इस उपकरण को लगातार बांधने पर धीरे-धीरे रीढ़ की हड्डी सीधी हो जायेगी।

टीम – अरविन्द निगम,शगुन सिंह,आबिद अली,विवेक श्रीवास्तव,शरद सक्सेना,अनिल यादव।

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