जस्ट वेट एंड वॉच…शुरू हो रहा पीजीआई ट्रामा सेंटर

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लखनऊ । संजय गांधी पीजीआई में बुधवार को दिल्ली एम्स ट्रामा सेंटर के इंचार्ज प्रो. अमित गुप्ता ने पीजीआई के ट्रामा सेंटर के संचालन के लिए कई महत्वपूर्ण टिप्स दिया। बताया जाता है कि आठ से दस दिन के अंदर ट्रामा सेंटर शुरू हो जाएगा। संस्थान के पास ट्रामा सेंटर चलाने का अनुभव न होने पर दिल्ली एम्स के ट्रामा सेंटर के प्रमुख प्रो. अमित गुप्ता को स्टेरियिग कमेटी में रखा गया है। प्रो. गुप्ता ने बताया कि मरीजों की भर्ती करके इलाज करने से पहले ट्रामा सेंटर को ड्राई चलाना होगा ।

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संस्थान का ट्रामा सेंटर शुरू करने के लिए प्रभारी प्रो. अमित अग्रवाल, प्रो. सुशील गुप्ता, प्रो.एसके अग्रवाल , प्रो. अंकुर भटनागर कई स्तर पर लगें है। एम्स के प्रो. अमित गुप्ता ने बताया कि ट्रामा सेंटर को एक साल तक ड्राई चलाया, फिर धीरे-धीरे हर तरह के मामले हैडिल करने लगे। एसजीपीजीाई ट्रामा सेंटर की तैयारी एम्स से बेहतर इस लिए 6 महीने के ड्राई रन के बाद यह जटिल मामले हैंडिल करने लगेगा। उन्होंने कहा कि पहले लाइफ सेविंग एंड प्राइमरी स्टेबलाइजेशन के सूत्र पर काम करना होगा। देखा गया है कि चलने फिरने वाले लोग भी हल्की की चोट पर ट्रामा सेंटर चले आते है।

ऐसे लोग न आए यहां पर वही लोग आए या लाए जाए जो गंभीर रूप से इंजर्ड है। बताया कि एसजीपीजीआई ट्रामा सेंटर को रेड और येलो जोन में बांटा गया है। जहां इंजरी के स्कोर के आधार पर इलाज दिया जाएगा। प्रो. गुप्ता ने कहा कि किसी भी सेंटर को मेच्योर होने में समय लगता है । यह समय एक साल से दो साल तक हो सकता है । इसलिए पहले ही दिन से बहुत अधिक उम्मीद नहीं करना चाहिए। कहा कि हम ट्रामा सेंटर चलाने के लिए हर स्तर पर सहयोग करेंगे। मेडिको लीगल साफ्टवेयर भी हम दे रहे हैं।

प्रो. अमित गुप्ता ने बताया कि रीढ़ की हड्डी, ब्रोन , लिंब में चोट के बाद कई बार मरीज इलाज के बाद भी लंबे समय तक केयर की जरूरत होती है। इनको ट्रामा सेंटर में रखने के बेड भर जाएंगे। ऐसे मरीजों के लिए रीहैबिलिटेशन सेंटर की जरूरत है। उन्होंने बताया कि एम्स दिल्ली के ट्रामा सेंटर में भी तीमारदारों द्वारा साल में दो -तीन बडी तोड़ -फोड़ की घटनाएं होती है । छोटी- मोटी तो आम बात है। इसको रोकने के लिए पुलिस, पीसीआर वैन अधिक की जरूरत होती है । इसके साथ घायल के तीमारदार से सही तरीके से कम्युनिकेशन होना जरूरी है।

प्रो. अमित ने कहा कि पीजीआई अपने वर्क कल्चर के नाते देश में नाम स्थापित किया है। यही वर्क कल्चर ट्रामा सेंटर को भी नाम देगा। पीजीआई ट्रामा सेंटर के अधीन प्रदेश के दूसरे ट्रामा सेंटर भी होना चाहिए जिससे वहां पर भी काम हो ।
निदेशक प्रो. राकेश कपूर ने बताया कि हमारी टीम लगातार कई स्तर पर काम कर रही है। आठ से दस दिन में क्रियाशील करने की योजना है। 16 संकाय सदस्य, आठ रेजीडेंट, 50 नर्सेज. 10 टेक्नोलाजिस्ट सहित स्टाफ की तैनाती कर दी गयी है। सीटी स्कैन भी महीने भर में लग जाएगा अभी संस्थान में कराएंगे। 24 घंटे लैब रीजेंट काट्रैक्ट पर लगायी गयी है।

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