लखनऊ। आईएएस अनुराग तिवारी की मौत के मामले में फारेंसिक रिपोर्ट का इंतजार हो रहा है। फारेंसिक रिपोर्ट आने के बाद भी मामले से पर्दाफाश हो सकता है। वहीं आईएएस का परिवार बैंगलूरू में अपने स्तर से बेटे की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत की वजह तलाश कर रहा है। जबकि जांच पड़ताल के बाद एसआईटी टीम बैंगलूरू से वापस लौट आई है और अपनी लगभग जांच को पूरी कर अमली जामा पहना चुकी है। इंतजार है तो उसे चंढ़ीगढ़ से आने वाली फारेंसिक रिपोर्ट का।
एसआईटी टीम जुटा रही सुबूत
आईएएस अफसर अनुराग तिवारी की मौत को 21 दिन का समय हो चुका है। इस दौरान पुलिस और पीड़ित परिवार के बीच जांच को लेकर वैचारिक मतभेद देखने को मिले हैं। परिवार पुलिस की जांच पर सवाल उठा रहा है जबकि पुलिस की जांच में मिले सबूत उसकी थ्योरी को सही साबित करते नजर आ रहे हैं। लेकिन परिवार पुलिस की थ्योरी को मनगढंत व खानापूर्ति बताकर अब अपने स्तर से जांच में जुट गया है। यही वजह है कि एसआईटी टीम के साथ बैंगलूरू गए दिवंगत आईएएस अनुराग के भाई मयंक ने जांच टीम के साथ वापस लौटने से इंकार कर दिया और वहीं रुक गए। उन्होंने अपने परिवार को भी बुला लिया। उनका कहना है कि एसआईटी टीम ने जांच के दौरान जिन पहलुओं को नजर अंदाज किया है वह उसक अपने स्तर पर जांच पड़ताल करेंगे।
परिजन भी बेटे की मौत की वजह की कर रहे तलाश
यही नहीं उनका यह भी दावा है कि वह बेटे की हत्या का राज खोलेंगे। गौरतलब हो कि गत एक जून को लखनऊ एसएसपी दीपक कुमार ने मामले की जांच कर रही एसआईटी टीम को बैंगलूरू भेजा था। टीम के साथ आईएएस अफसर अनुराग तिवारी के भाई मयंक भी गए थे। जांच टीम ने बैंगलूरू स्थित आईएएस अफसर के आफिस और उनके आवास की जांच पड़ताल की थी। साथ ही कई अधिकारियों व कर्मचारियेां से पूछताछ कर लौट आयी है।
यह था मामला
बहराईच निवासी अनुराग तिवारी कर्नाटक कैडर 2007 बैच के आईएएस अधिकारी थे। वह बैंगलूरू में खाद्य एवं रसद विभाग में तैनात थे। गत 17 मई को अनुराग का शव हजरतगंज के मीराबाई गेस्ट हाउस के बाहर औंधे मुुंह पड़ा था। उनके चेहरे पर चोट थी और नाक से खून का रिसाव हो रहा था। पुलिस का कहना था कि अनुराग अपने तीसरे फेज की ट्रेनिंग पूरी कर मसूरी से सीधे अपने घर बहराईच गए थे। वहां से वापस लखनऊ विकास प्राधिकरण के वीसी से मिलने के लिए राजधानी पहुंचे थे। वह वीसी के कमरे में ही ठहरे थे।