लखनऊ। गुटखा का सेवन करने वाले लोगों को सर्जरी के दौरान विशेषज्ञों को एनस्थीसिया देने में खासी मशक्कत करनी पड़ती है। इस दौरान मरीजों में खतरा भी काफी होता है। यह बात कोलकाता के कॉर्डियक एनस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. प्रवीर कुमार दास ने लोहिया संस्थान के एनस्थीसिया विभाग द्वारा आयोजित पीजी एसेम्बली प्रोग्राम को संबोधित करते हुए कही।
शुक्रवार को लोहिया संस्थान के एकेडमिक ब्लॉक प्रेक्षागृह में तीन दिवसीय कार्यक्रम शुरू हुआ। डॉ. दास ने कहा कि गुटखा, पान मसाला सेवन करने वालों का मुंह कम खुलता है। बेहोशी देने की स्थिति में मरीज को ऑक्सीजन देने के लिए मुंह से पाइप डाला जाता है। उन्होंने बताया कि फाइबर ब्राांकोस्कोपी के प्रयोग से शरीर में आवश्यकता अनुसार ऑक्सीजन पहुंचाने की प्रक्रिया आसानी से की जा सकती है। दरअसल फाइबर ब्रांाकोस्कोपी मुलायम होने से नाक में भी पाइप आसानी से डाली जा सकती है। उन्होंने बताया इसके अलावा हार्ट के वॉल्व में गड़बड़ी के दौरान की परेशानी मरीजों में भी ऑपरेशन से पहले बेहोशी देने में दिक्कत होती है।
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में एनस्थीसिया विभाग के पूर्व विभाग प्रमुख डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि मुंह में ट्यूमर के मरीजों में एनेस्थिसिया के बाद ऑक्सीजन को बरकरार रखने के लिए पाइप डालने में खास सावधानी बरतने की जरूरत होती है। इसी प्रकार रीढ़ की टेढ़ी हड्डी से पीड़ितों में भी बेहोशी के बाद ऑक्सीजन पाइप लाइन डालने में दिक्कत होती है।
पांडेचेरी से आये एनस्थीसिया विभाग के डॉ. पंकज कुंदरा ने बताया कि मोटापा अधिक होने के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अधिक मोटे मरीजों में गर्दन छोटी होती है। ऐसे में एनेस्थिसिया के दौरान ऑक्सीजन को सही रखने में परेशानी होती है। विशेष प्रकार की तकनीक से ऑक्सीजन लेबल को सही रखा जा सकता है। लोहिया में एनस्थीसिया विभाग के प्रमुख डॉ. पीके दास ने बताया कि कार्यक्रम में लगभग 200 से ज्यादा छात्र-छात्राओं ने भाग ले रहे है। कार्यक्रम में डॉ. मनोज त्रिपाठी, डॉ. संजीत राय और डॉ. एसएस नाथ समेत अन्य डॉक्टरों ने हिस्सा लिया।