Kgmu: ईसेनमेंगर सिंड्रोम से पीड़ित महिला का सुरक्षित प्रसव कराकर दी नयी जिंदगी

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केजीएमयू पहला चिकित्सा संस्थान जहां इस जटिल बीमारी से तीन महिलाओं बचायी जा चुकी है जान

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने हार्ट की जटिल व दुर्लभ बीमारी ईसेनमेंगर सिंड्रोम से पीड़ित गर्भवती महिला का प्रसव सफलता पूर्वक कराया है। सर्जरी के बाद गंभीर हालत में प्रसूता को वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया, जहां पर ट्रॉमा वेंटिलेटर यूनिट के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने इलाज किया। अब डॉक्टरों का कहना है कि जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ्य हैं।

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गोरखपुर निवासी गर्भवती नीलिमा (26) को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। अचानक धड़कन में भी परेशानी होने लगी। परिजनों ने स्थानीय अस्पताल में डाक्टरों से इलाज कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद में परिजन गर्भवती को केजीएमयू के क्वीनमेरी हास्पिटल लेकर पहुंचे। मरीज नीलिमा को क्वीनमेरी की विभाग प्रमुख डॉ. एसपी जायसवार ने जांच पड़ताल की आैर उनके निर्देशन में भर्ती कर इलाज शुरू किया गया।

डॉ. जायसवार ने बताया कि मरीज की जांच में ईसेनमेंगर सिंड्रोम की पुष्टि हुई थी। मरीज की सर्जरी कर प्रसव कराने का परामर्श दिया था। एनस्थीसिया विभाग के प्रमुख डॉ. जीपी सिंह और डॉ. शशांक कनौजिया, डॉ. करण कौशिक की टीम ने हार्ट को सपोर्ट करने वाली प्रमुख वाहिकाओं के कैनुलेशन के बाद एक विशेष तकनीक से बेहोशी किया। फिर क्वीनमेरी की डॉ. अंजू अग्रवाल और डॉ. मोना बजाज ने सर्जरी कर प्रसव कराया, लेकिन सर्जरी के बाद प्रसूता की हालत बिगड़ने लगी। मरीज नीलिमा को आनन-फानन ट्रॉमा वेंटिलेटर यूनिट (टीवीयू) में रेफर किया गया। टीवीयू में डॉ. जिया अरशद, डॉ. रवि प्रकाश और डॉ. रति प्रभा ने प्रसूता की विशेष निगरानी में इलाज किया जा रहा था। कोशिशों के चार दिन बाद प्रसूता को वेंटिलेटर से बाहर लाने में कामयाबी मिली।

डॉ. जीपी सिंह व डॉ. एसपी जायसवार ने संयुक्त रूप से बताया कि ईसेनमेंगर सिंड्रोम एक बहुत ही दुर्लभ और जटिल बीमारी है। यह .003 प्रतिशत मरीजों में मिलती है। आंकड़ों के अनुसार इसमें 70 प्रतिशत महिलाओं की मौत हो जाती है। महिलाओं को दिल की बीमारी के कारण सांस संबंधी धमनी में बदलाव आ जाते हैं। इस बीमारी से पीड़ित महिलाओं को गर्भ धारण न करने की सलाह दी जाती है। उन्होंने बताया कि केजीएमयू देश का पहला संस्थान है, जिसमें इस तरह की बीमारी से पीड़ित तीन महिलाओं को जीवन मिल चुका है।

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