लखनऊ। किडनी के तेजी से मरीज बढ़ रहे है। डायलिसिस के बाद अंतिम नतीजा किडनी प्रत्यारोपण ही होता है। किडनी डोनेशन के लिए अपने भी जल्दी साथ नही दे रहे है आैर दान में किडनी जल्दी मिल नहीं रही है। आलम यह है कि किडनी प्रत्यारोपण की वेटिंग लगातार बढ़ रही है। लगातार किडनी प्रत्यारोपण करने वाले डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में भी लगभग तीन महीने की वेंटिग बनी हुई है। पीजीआई में किडनी के प्रत्यारोपण की वेंटिग बढ़ती जा रही है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में जल्द शुरु हुआ किडनी प्रत्यारोपण यूनिट में किडनी दान करने वालों का इंतजार हो रहा है।
किडनी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। किडनी के मरीज कम उम्र से लेकर बड़ी उम्र के मरीज भी शामिल है। किडनी खराबी में पहले चरण में डायलिसिस करायी जाती है। केजीएमयू, पीजीआई, लोहिया संस्थान में डायलिसिस यूनिट लगातार फुल जा रही है।
आलम यह है कि लोग सरकारी अस्पतालों व निजी चिकित्सा संस्थानों में डायलिसिस के लिए जा रहे है, जहां पर भी पहले नम्बर लेना पड़ रहा है। वर्तमान में लोहिया संस्थान में विशेषज्ञों की बेहतर टीम होने के कारण लगातार किडनी प्रत्यारोपण हो रहा है। यहां पर एक महीने में लगभग एक या दो किडनी प्रत्यारोपण हो जाता है।
बताया जाता है कि फिर यहां पर दो से तीन महीने की वेंटिग चल रही है। यहां पर लखनऊ ही नहीं दूर दराज राज्यों से लोग किडनी के मरीज पहुंच रहे है। पीजीआई में भी किडनी प्रत्यारोपण जारी है। यहां पर भी एक से दो मरीज की वेंटिग चल रही है। डाक्टरों की मानें तो अगर अपनों की किडनी अक्सर मैच नही होती है, तो मरीज दान की किडनी पर निर्भर रहता है। जब किडनी दान में मिली आैर मैच कर गयी तो किडनी प्रत्यारोपण हो जाता है। केजीएमयू में तमाम कोशिशों के बाद किडनी प्रत्यारोपरण शुरू कर दिया है। अप्रैल महीने में आखिरी किडनी प्रत्यारोपण किया गया था। अगला जल्द करने की कवायद चल रही है। यहां पर भी किडनी के मरीज लगातार बढ़ते जा रहे है।
केजीएमयू के किडनी रोग व प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डा. विश्वजीत बताते है कि वर्तमान में देखा जाए तो सही खान-पान, अव्यवस्थित जीवन शैली, तनाव, व्यायाम न करने के कारण लोगों में डायबिटीज व ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ रही है। यहीं नहीं यह दोनों बीमारी होने के बाद भी समय पर सही दवा न लेना, जीवन शैली व खान- पान पर ध्यान देने से किडनी बीमारी की समस्या तेजी से बढ़ रही है।
डा. विश्वजीत का कहना है कि अक्सर लोगों का अनियत्रिंत ब्लड प्रेशर रहता है। इसके अलावा डायबिटीज की मानक से कम ज्यादा होती रहती है। इन दोनों को वक्त पर कंट्रोल न होने के कारण किडनी पर सीधा असर पड़ता है। समय पर दवा लेने पर पहले डायलिसिस फिर किडनी प्रत्यारोपण ही अंतिम उपाय होता है। इस लिए दोनों बीमारियों से बचने की कोशिश करनी चाहिए।