सावधान …बुुजुर्गो में बढ रही यह खतरनाक बीमारी

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लखनऊ। अल्जाईमर एक मस्तिष्क की बीमारी है इसके कारण मस्तिष्क की कर्इ तंत्रिका कोशिकायेंमर जाती है। यह व्यक्ति की चीजोंको यादकरने की, स्पष्टसोचने की और अच्छे निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करता है । यह जानकारी प्रो. एस सी तिवारी ने दी। उन्होंने डिमेंशिया के लक्षण कई रोगो के कारण पैदा हो सकते है। यह सभी रोग मस्तिष्क की हानि करते है, क्योंकि हम सभी कामो के लिए मस्तिष्क पर निर्भर होते है। डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति दैनिक कार्य ठीक  से नही कर पाता है। उन्हे आमतौर पर रोजमर्रा के हिंसाब मे दिक्कत हो सकती है। वे अपना बैंक का काम करने मे कठिनाई महसूस कर सकते है, घर पर पार्टी हो तो उसका आयोजन करना मुश्किल हो सकता है। कभी -कभी वे यह भी भूल जाते है कि कौन सा साल महीना चल रहा है। उन्हे सही शब्द नही सूझता उनका व्यवहार बदला-बदला सा लगता है। यह भी हो सकता है कि असभ्य भाषा का प्रयोग करें।

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साल दर साल डीमेंसिया से ग्रसित व्यक्ति की स्थिति अधिक खराब होती जाती है और बाद की अवस्था में साधारण से साधारण काम में दिक्कत होने लगती है। जैसे कि चल पाना बात करना खाना ठीक से चबाना और निगलना जिसके पश्चात वे फ्रेलिटी की ओर बढ़ने लगते है। फ्रैलिटी की पहचान के लिए पांच महत्व पूर्ण लक्षण है इनमें से यदि किसी व्यक्ति में कोई तीन लक्षण पाए जाते है तो वह फै्रलिटी की अवस्था में माना जाता है पांच लक्षण निम्न हैं-

  • वजन का कम होना-पिछले एक वर्ष में व्यक्ति का वजन लगभग 4.5 किलों तक कम हो जाना।
  • थकान-व्यक्ति आपने आपको शक्तिहीन समझने लगता हैं, थकान के कारण वह घर से निकलना भी नही चाहता है।
  • भौतिक क्रिया कलाप-व्यक्ति अपने दैनिक क्रियाक्रलाप को करने में परेशानी महसूस करता है।
  • सुस्ती-व्यक्ति कमजोरी एवं थकान के कारण पैदल नही चल पाता है। सामान्यतः व्यक्ति 15 कदम की दूरी 4.75 सेकेण्ड में पूरी कर सकता है, परन्त यदि उतनी ही दूरी 6 सेकण्ड से अधिक समय लगाता है तो इसे सुस्ती का लक्षण माना जाता है।
  • कमजोरी- किसी वस्तु को पकड़ने में अस्मर्थ होना।

अल्जाईमर्स से पूरी तरह बचे रहने का कोई तरीका नही है परन्तु यदि हम अपने जीवन में कुछ उचित बदलाव करके अल्जाईमर्स होने की संभावना को कम कर सकते है। उम्र बढ़ने से अल्जाईमर्स की समास्या बढ़ती है। बचाव सत प्रतिशत न हीं हो सकता पर संभावना कम जरूर हो सकती है। कुछ अपरिवर्तनीय जोखिमकारक जिनके बारे में हम कुछ नही कर सकते उदाहरण- उम्र बढ़ना, अनुवांशिकता। स्वस्थ जीवन शैली अपनाने से हम अपनी डिमेंशिया की संभावना को कम कर सकते है।

कुछ प्रमुख उदाहरण है-

  • धूम्र पान बन्द करें
  • अपने वजन को नियंत्रित रखें और पौष्टिक भोजन लें।
  • अच्छी मात्रा में ताजेफल एवं सब्जी खायं।
  • नियमित व्यायाम करें।
  • शरीरिक रूप से सक्रिय रहें।
  • मानसिक रूप से सक्रिय रहें ।
  • सामाजिक बने
  • डायबिटीज एवं ब्लड प्रेशर इत्यादि रोगों के प्रति सजग रहें।
  • डिप्रेशन के प्रति सजग रहेऔर इससे बचने के लिए उचित कदम लें।
  • सुनने की शक्ति में कमी होना बहरापन इस समास्या के प्रति सर्तक हें।
  • सर को चोट से बचायें।
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