लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में हो रहे अब इलाज कराने वाले मरीजों को सत्यापन किया जाएगा। बताते है कि गरीबों के इलाज पर खर्च की जा रही धनराशि में घोटाले हो गया है। फिलहाल केजीएमयू प्रशासन ने घोटाले को तो नहीं स्वीकार किया है लेकिन गरीबों के इलाज में खर्च हुए बिलों क स्क्रीनिंग करानी शुरू कर दी ंहै। इसके लिए कमेटी का भी गठन कर दिया गया है जो कि पुराने बिलों में गरीबों को सत्यपित करेगी।
केजीएमयू में बीपीएल कार्ड धारक, असाध्य रोग के अलावा गरीब साबित होने पर निशुल्क इलाज किया जाता है। इलाज के लिए आर्थिक स्थिति सही न होने पर मरीज को इलाज करने वाला डाक्टर व अन्य दो वरिष्ठ डाक्टर आर्थिक स्थिति सही न मानते हुए निशुल्क इलाज के लिए संस्तुति कर देते है। तीन लोगों की संस्तुति के बाद मरीज को गरीब मानते हुए निशुल्क इलाज शुरू हो जाता है। बताया जाता है कि इस कोटे में काफी अधिक लोगों का इलाज हो गया। बीपीएल व गरीबों का इलाज करने वाला बजट भी समाप्त हो गया।
इस बीच केजीएमयू के प्रशासनिक अधिकारियों को लगा कि गरीबों के इलाज में कुछ न कुछ गड़बड़ी की गयी है। बताया जाता है कि गरीबों के इलाज में जरूरत से ज्यादा मंहगा इलाज किया गया है आैर यह गरीबी के दायरे में नहीं आता है। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एस एन शंखवार ने बताया कि पुराने बिलों की जांच के लिए स्क्रीनिंग कमेटी बनायी गयी है, जो कि बिलों की जांच करेगी।
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