लखनऊ। दांतों की बीमारियों में सबसे ज्यादा दांतों का संक्रमण लोगों में बढ़ा है। इसके कारण मसूड़ा कमजोर होने की संभावना होती हैं। निजी व छोटे चिकित्सा संस्थानों में आधुनिक माइक्रोस्कोप नहीं होते हैं। ऐसे में आंखों से जो दिखता है, उसके आधार पर मरीज को रूट कैनाल ट्रीटमेंट कर देते हैं। ऐसी दशा में संक्रमण रह जाने का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन नयी तकनीक का प्रयोग करके मरीजों को उच्चस्तरीय इलाज मुहैया कराया जा सकता है।
यह बात केजीएमयू की डेंटल यूनिट के डॉ. रमेश भारती ने बुधवार को केजीएमयू कंजरवेटिव डेन्टिस्ट्री एवं एन्डोडॉन्टिक्स विभाग की ओर से दो दिवसीय मैग्निफिकेशन मास्टर क्लास को संबोधित कर रहे थे।
डेंटल यूनिट आडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. रमेश भारती ने कहा कि दांतों की बीमारी के पहचान में आधुनिक माइक्रोस्कोप का महत्वपूर्ण स्थान है। इससे हम बीमारी की जड़ तक आसानी से पहुंच सकते हैं।
संक्रमण को आंखों से नहीं देखा जा सकता है, लेकिन माइक्रोस्कोप से जांच के बाद कैनाल के छूटने की संभावना नहीं रहती है।
माइक्रोस्कोप से मसूड़े के भीतर साफ व स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि पायरिया सर्जरी में भी माइक्रोस्कोप का प्रयोग बेहतर तरीके से करके इलाज किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि माइक्रोस्कोप से सर्जरी में गलती की संभावना कम हो जाती है। इससे पहले कार्यक्रम का उद्घाटन कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने किया।
उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला से डेंटल यूनिट की एनआईआरएफ रैकिंग में भी इजाफा होगा। उन्होंने डेन्टिस्ट्री को अपग्रेड करने के लिए इस तरह के कार्यक्रम समय-समय पर होते रहने चाहिए। इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ एन्डोडॉन्टिक्स एसोसिएशन के सचिव व इंडियन एन्डोडॉन्टिक्स सोसाइटी के सचिव जनरल डॉ. वी गोपी कृष्णा ने मास्टर क्लास में आये प्रतिभागियों को माइकोस्कोप की बारीकियों से अवगत कराया। उन्होंने रूट कैनाल का लाइव डेमॉस्ट्रेशन भी दिया गया।
भारतीय एन्डोडॉन्टिक्स सोसाइटी के प्रमुख डॉ. संजय मिगलानी कहा कि डेन्टल ऑपरेटिंग माइकोस्कोप एक विशेष उपकरण है। इसकी मदद से रूट कैनाल, फिलिंग और जटिल दंत सर्जरी जैसी इलाज प्रक्रियाओं के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। इस माइकोस्कोप से डॉक्टर को छोटे कैनाल और नाजुक संरचनाओं का पता लगाया जा सकता है। कार्यक्रम में उप कुलपति डॉ. अपजित कौर, दंत संकाय के एक्टिंग डीन डॉ. शादाब मोहम्मद, डॉ. राकेश कुमार यादव, आयोजन सचिव डॉ. प्रज्ञा पांडे मौजूद थे। कार्यक्रम में कर्नाटका, उत्तराखण्ड, हिमांचल प्रदेश और तेलंगना के दन्त चिकित्सक शामिल हुए।