लोहिया संस्थान रिफ्रेशर कोर्स कार्यशाला
लखनऊ। किसी भी मरीज या किडनी के मरीज की तबियत बिगड़ने पर अस्पताल में पहुंचने पर तत्काल उसे सबसे पहले आई वी फ्लूड चढ़ा दिया जाता है, लेकिन किडनी के मरीज के मामले में आई वी फ्लूड को चढ़ाने से पहले विशेष ध्यान रखना चाहिए कि उसे कौन सा फ्लूड चढ़ाया जाना चाहिए। यह बात राजकोट के नेफ्रोलॉजी विशेषज्ञ डा. संजय पाडं्या ने एनेस्थीसिया रिफ्रेशर कोर्स की कार्यशाला में कही। कार्यशाला में विशेषज्ञ डाक्टरों ने विभिन्न सर्जरी व बीमारियों में एनेस्थीसिया से नयी तकनीक के बारे में जानकारी दी।
डा. संजय ने कहा कि आईवी फ्लूड कई प्रकार के होते है। ऐसे में किडनी के मरीज को कौन आईवी फ्लूड सही रहेगा। इसकी मौजूद डाक्टर को केस हिस्ट्री के बाद चयन करना चाहिए। ऐसे में किडनी पर प्रभाव कम होता है। डा. संजय किडनी बीमारी पर किताब लिख चुके है, जो कि देश में दस भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी है अौर विदेश में भी कई भाषाओं में पढ़ी जा रही है।
ऋषिकेश एम्स के एनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख डा. संजय अग्रवाल ने कहा कि छोटे बच्चो की सर्जरी के वक्त आपरेशन थियेटर के तापमान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि सर्जरी के वक्त बच्चें के शरीर का तापमान कम होता है आैर ओटी में ठंडा ज्यादा होता है। बच्चों में फैट की लेयर भी कम होती है। ऐसे में सर्जरी में विशेष ध्यान रखना चाहिए। देहरादून से आयी डा. पारूल ने कहा कि प्रसव पीड़ा में एनेस्थीसिया डाक्टर विशेष तकनीक से गर्भवती महिला को दवा देते है। इससे उसका दर्द समाप्त हो जाता है आैर प्रसव आसानी से हो जाता है।
यह तकनीक विदेशों में पापुलर है। यहां पर अब इस तकनीक पर कार्य होने लगा है। लोहिया संस्थान के डा. पीके दास ने कहा कि लंग सर्जरी में दूसरे लंग का विशेष ध्यान रखते हुए उसे चिपका कर रखना पड़ता है। अगर क्रियाशील रहता है तो सर्जरी में दिक्कत आती है। इसमें मरीज को सुरक्षित रखने के लिए कई अत्याधुनिक उपकरणों का प्रयोग करना पड़ता है। कार्यशाला के आयोजक सचिव डा. वीरेन्द्र ने बताया कि रिफ्रेशर कोर्स में 120 एमडी एनेस्थीसिया के स्टूडेंट पहुंचे हैं और करीब 34 विशेषज्ञ इलाज की नवीन तकनीक बताने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से आए हैं।