लखनऊ। लोगों की शराब छुड़ाने के लिए पहले डॉक्टर खुद इससे दूरी बनाएंगे। नशे से दूर रहने का परामर्श देने वाले डॉक्टरों के खुद क्लीनिक वर्कशाप अन्य अवसरों पर जाम से जाम लड़ाते है। इससे समाज पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। रविवार को भारत सरकार के स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ अतुल गोयल ने डाक्टरों के लिए पत्र जारी करते हुए अपील की है कि डाक्टर खुद जबतक आदर्श रूप में सामने नहीं आएंगे तबतक लोग उनके सुझाव और सलाह को गंभीरता से लेकर अमल में नहीं लाएंगे। उन्होंने कहना है कि इसकी शुरूआत ऐसे सार्वजनिक आयोजनों से होनी चाहिए। कहा है कि एक डॉक्टर होने के नाते, अल्कोहल से दूर रहते हुए हमें स्वस्थ जीवन शैली का पालन करते हुए एक अच्छी आदत का उदाहरण समाज में प्रस्तुत करना चाहिए।
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डा. अतुल गोयल की तरफ से जारी पत्र में कहा गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और एनसीडी इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक देश में 63 प्रतिशत लोगों की मौत गैर संचारी रोग के चलते चली जाती है। गैर-संचारी रोग (एनसीडी) के बढ़ते मामलों के लिए कुछ प्रमुख कारण निकल कर सामने आये हैं। जिसमें तंबाकू और शराब का सेवन, अनियमित जीवन शैली, शारीरिक निष्क्रियता शामिल है, लेकिन देखा गया है कि इन सब कारणों में शराब (अल्कोहल) का सेवन सबसे बड़ा कारण है। शराब के सेवन से कई गंभीर बीमारियों होती हैं, कई मामलों में कैंसर तक के लिए शराब जिम्मेदार है। इतना ही नहीं सड़क दुर्घटनाओं के लिए भी शराब कई बार जिम्मेदार होती है। यह विकलांगता के लिए भी जिम्मेदार होती है।
पत्र में लिखा गया है कि समाज में स्वास्थ्य पेशेवर होने के नाते, हमें स्वस्थ जीवन शैली का पालन करना चाहिए और अल्कोहल से दूर रहते हुए एक अच्छी आदत का उदाहरण समाज में स्थापित करना होगा। इससे गैर संचारी रोगों पर भी लगाम में मदद मिलेगी।
राजधानी के डॉ. पीके गुप्ता ने स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ अतुल गोयल के इस पत्र का स्वागत करते हुये कहा है इसमें कोई शक नहीं कि समाज डाक्टर को आदर्श मानता है। लोग अनुकरण करते हैं। ऐसे में डाक्टर की बड़ी जिम्मेदारी है। हालांकि बहुत से डॉक्टर नशा मुक्ति अभियान से जुड़े हुये हैं, लेकिन जो क्लीनिक वर्कशाप व अन्य स्थानों पर शराब का सेवन करते हैं, उन्हें ऐसा करने से बचना चाहिए।