लखनऊ। डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में बेहोशी के हालत में पहुंचे 62 वर्षीय मरीज की जटिल सर्जरी कर विशेषज्ञ डॉक्टरों ने जान बचा कर नयी जिंदगी दे दी है। जांच में पता चला कि मरीज के ब्रेन स्ट्रोक
में ब्लड क्लॉट( खून की गांठ) थी, जो फट चुकी थी। यदि समय पर सर्जरी न की गयी होती, तो मरीज की मौत भी सकती थी।
लोहिया संस्थान में न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रो. दीपक सिंह ने नयी तकनीक का प्रयोग करके जटिल सर्जरी की है। दावा है कि इस नयी तकनीक का प्रदेश में पहली बार प्रयोग किया गया है। इस तकनीक की खास बात यह है कि सर्जरी के बाद मरीज को जीवन भर खून पतला करने की मेडिसिन भी नहीं खानी पड़ेगी।
गोण्डा निवासी लड्डन वेग (62) को लगभग नौ दिन पहले तीमारदार बेहोशी की हालत में लोहिया संस्थान लेकर पहुंचे थे। न्यूरो सर्जरी विभाग प्रमुख प्रो. दीपक कुमार सिंह ने मरीज को देखने अौर जांच के बाद तत्काल सर्जरी का निर्णय लिया। जांच में मरीज के ब्रोन में ब्लीडिंग हो रही था। ब्लीडिंग के कारण में ब्लड की गांठ का फट जाना था। डॉ. सिंह ने बताया कि गांठ का मुंह बहुत चौड़ा था। सर्जरी के लिए प्रचलित तकनीक का प्रयोग करने से मरीज में सुधार होने की संभावना कम थी, दो स्टंट डाल कर सर्जरी की प्रक्रिया पूरी हो तो जाती, लेकिन मरीज को जीवन भर खून पतला करने की दवा खानी पड़ती। उन्होंने बताया कि ऐसे में नेक स्टेंट डिवाइस डालने का निर्णंय किया गया। यह डिवाइस तस्तरी नुमा होती है तो गांठ के मुंह पर फिट बैठ जाती है।
प्रदेश में इस तकनीक का पहली बार सर्जरी के दौरान प्रयोग किया गया है। अब मरीज को खून पतला करने की दवा भी नहीं खानी पड़ेगी।
लोहिया संस्थान में इस बीमारी से पीड़ित 6 से 7 मरीज हर महीने पहुंच रहे हैं। नेक स्टेंट डिवाइस से इलाज करने में खर्च में कोई बढ़ोतरी नहीं होती। सामान्य सर्जरी और इस तकनीक से की गई सर्जरी में खर्च लगभग पांच लाख का ही आता है। इतना ही नही मरीज को खून पतला करने के लिए दवाओं का प्रयोग नहीं करना पड़ता। डॉ. दीपक कुमार सिंह ने बताया कि सिगरेट पीना इस बीमारी में काफी खतरनाक होता है। शोध बताते हैं कि इस बीमारी में सिगरेट का सेवन करने से खून की गांठ फटने का खतरा अधिक रहता है।