हार्ट की नसों के ब्लॉकेज होने पर रेट्रोग्रेट तकनीक कारगर

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कांफ्रेंस के अध्यक्ष व पीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. पीके गोयल बताते हैं कि अगर तीन महीने से अधिक समय से पूरी नस ब्लॉकेज होने पर (क्रॉनिक टोटल क्लूजन) हार्ट की मरीजों में एंजियोग्राफी संभव नही है। ज्यादातर लोेग ऐसे मरीजों में बाइपास सर्जरी की जाती है, जबकि नयी अपडेट तकनीक जापानी रेट्रोग्रेट से सीने में बिना चीरा लगाये नस के ब्लॉकेज को खोला जाता है। इस तकनीकि में मरीज को जोखिम कम होता है। इस तकनीक से यहां पर लगातार सर्जरी की जा रही है।

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कांफ्रेंस की सचिव व पीजीआई की कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रूपाली खन्ना बताती हैं कि हार्ट में पूरी नस के ब्लॉकेज होने पर विशेषज्ञ डाक्टर से ही परामर्श लेनी चाहिए। नसों की ब्लाकेज को खोलने के लिये नसों में बॉल्स डालकर खोला जाता है। ऐसे में हल्की सी चूक मरीज के लिए जोखिम का कारण बन सकती है।

डॉ. रूपाली खन्ना

जब कि नयी रेट्रोग्रेट तकनीक में मरीज की स्वस्थ नसों में बारीक वायर डालते हैं और ऐसे में ब्लाकेज आसानी से खोल देते हैं। मरीजों को ज्यादा परेशानी भी नहीं होती है। कांफ्रेंस में पीजीआई निदेशक डॉ. राकेश कपूर, त्रिवेंद्रम के कार्डियोलॉजिस्ट एन प्राथप कुमार, हैदराबाद के डॉ. वी सूर्य प्रकाश राव, मुम्बई के एवी गनेश कुमार ने भी अपनी तकनीक जानकारी दी।

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