अगर लेना डेथ सर्टिफिकेट तो यह करो….

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में डेथ सार्टिफिकेट लेने के लिए तीमारदार बाबुओं की परिक्रमा कर रहे है। स्थानीय व गैर जनपदों से आने वाले तीमारदार कर्मचारियों के आगे फरियाद करते रहते है, लेकिन उन्हें कमियां बता कर भगा देते हैं। एक दिन में जारी होने वाले डेथ सार्टिफिकेट के लिए लोगों को दस-दस दिन तक दौड़ाया जा रहा है। इसकी शिकायत पर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने सभी विभागाध्यक्षों को पत्र भेजकर मरीज की मृत्यु बाद संस्थान की वेबसाइट पर जानकारी अपलोड कराने के निर्देश दिए हैं।

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केजीएमयू प्रशासन ने तीमारदारों को मरीज की मौत बाद डेथ सार्टिफिकेट दिये जाने के लिए काउंटर बना रखा है। इसके लिए एक्सीडेंट से मरने वाले मरीजों के तीमारदार को डेथ सर्टिफिकेट दिये जाने के लिए परिसर स्थित पुलिस चौकी व बीमारी से मौत पर विभाग से केस हिस्ट्री व डिटेल मिलना चाहिए। मगर लापरवाही से यह डिटेल काउंटर तक नहीं पहुंचती है। दूसरी लापरवाही यह है कि अगर तीमारदार अगर डेथ सर्टिफिकेट के लिए प्रार्थनापत्र देता है तो उसे ही पुलिस चौकी से लेकर विभाग तक परिक्रमा करनी पड़ती है। उसके बाद खुद को मृतक का अपना साबित करने के लिए प्रमाण पत्र देना पड़ता है। इसके बाद भी उन्हें तत्काल बाद आने को कहकर दस से पंद्रह दिन इंतजार करना पड़ रहा है।

इसकी वजह यह है कि मरीज की मौत बाद मरीज की केस हिस्ट्री संस्थान की वेबसाइट पर अपलोड नहीं हो रही हैं। इससे प्रमाण पत्र जारी करने में दिक्कत आ रही है। ट्रॉमा सेंटर, क्रिटिकल केयर, आरआईसीयू, मेडिसिन विभाग, आर्थोपैडिक विभाग, बाल रोग, गांधी वार्ड समेत अन्य विभाग हैं। तीमारदारों का कहना है कि अगर ज्यादा जल्दी कहो तो उन्हें चेतावनी दी जाती है कि डेथ सर्टिफिकेट पर किसी भी पालिसी में यूज नहीं कर सकते है लिखने की चेतावनी दी जाती है। इसकी शिकायत सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार पास पहुंची थी। सीएमएस ने सभी विभागाध्यक्षों को पत्र जारी करके मरीज की मौत बाद उसकी केस हिस्ट्री वेबसाइट पर अपलोड कराने के निर्देश दिए हैं। सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार का कहना है कि विभागों में मरीज की मौत बाद अगर डेथ सर्टिफिकेट समय पर नहीं मिले संबंधित कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की जाएगी।


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