लखनऊ। श्री श्याम परिवार लखनऊ के तत्वावधान में प्रसिद्ध बाल व्यास राधा स्वरुपा जया ‘‘किशोरी जी’’ के सानिध्य में ‘‘नानीबाई रो मायरो’’ पर नृत्य नाटिका का मंचन 8, 9 और 10 नवम्बर 2017 को बीरबल साहनी मार्ग स्थित श्री खाटू श्याम मन्दिर परिसर में किया जायेगा। यह जानकारी मंगलवार को मन्दिर परिसर में आयोजित एक पे्रसवार्ता में श्री श्याम परिवार लखनऊ के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल ने दी।
उन्होंने बताया कि राजधानी के वासियो के लिये बड़े हर्ष व खुशी की बात है कि राजधानी में प्रथम बार अपने प्रवचनों से भजनो से लोगों का दिल जीत लेने वाली प्रसिद्ध बाल व्यास राधा स्वरुपा जया ‘‘किशोरी जी’’ का आगमन हो रहा है। उनके दर्शन ही नही बल्कि उनके सानिध्य में तीन दिवसीय ‘‘नानीबाई रो मायरो’’ नृत्य नाटिका का मंचन देखने को मिलेगा। यह मंचन 8, 9 और 10 नवम्बर मन्दिर प्रांगण होगा। इस उत्सव के मुख्य यजमान श्रीमती सरोज एवं श्री विमल अग्रवाल, श्रीमती सोनी एवं श्री मयंक अग्रवाल, संचित अग्रवाल और कृष्वी अग्रवाल है।
उन्होंने बताया कि पूरी दुनिया श्याम प्रभु की महिमा का डंका बजाने वाली बाल व्यास राधा स्वरुपा जया ‘‘किशोरी जी’’ के दर्शन के लिये लोग वर्षो से व्याकुल थे। श्याम प्रभु की इच्छा से उनका समय मिला और एक नही तीन-तीन दिन भक्त उनकी सुरमयी आवाज से भजन, प्रवचन और भगवान की लीलाओं का आनन्द लेंगे। कोलकाता निवासी 21 वर्षीय किशोरी जी बचपन से ही प्रभु की भक्ति में लीन होकर भक्तों को ईश्वर की भक्ति की ओर ले जा रही है। किशोरी जी हरिद्धार में श्रीमद् भागवत कथा श्रवण कराने के बाद सीधे लखनऊ आगमन हो रहा है। कार्यक्रम की जानकारी देते हुये मनोज अग्रवाल ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत आठ नवम्बर दिन बुधवार को दोपहर एक बजे शोभा यात्रा के साथ होगी।
किशोरी जी को शोभा यात्रा के साथ लाया जायेगा। शोभा यात्रा गाजे-बाजे के साथ हनुमान सेतु मन्दिर से प्रारम्भ होगी। यात्रा में रथ पर किशोरी जी रहेंगी और उनके स्वागत में सैकड़ों श्याम परिवार की महिलाये व अन्य लोग नृत्य करते हुये चलेंगे। बाद में दोपहर तीन बजे से नत्य नाटिका ‘‘नानीबाई रो मायरो’’ का मंचन होगा। उन्होंने बताया कि 9 नवम्बर को पालकी से लाया जायेगा। पंचमुखी हनुमान मन्दिर से और 10 नवम्बर को हनुमान सेतु से खुली जीप से गाजे-बाजे के साथ किशोरी जी को कार्यक्रम स्थल तक लाया जायेगा। 10 नवम्बर को ही झुनझुन वाली दादी का चूनरी उत्सव धूमधाम से मनाया जायेगा।
महामंत्री सुधीर कुमार गर्ग ने बताया कि तीनों दिन सदर के पंण्डित राजेन्द्र कुमार पाण्डेय ‘गुरुजी’ अपने 21 आचार्यो के साथ घंटा, शंख की ध्वनि के साथ स्वास्तिवाचन कर किशोरी जी का स्वागत करेंगे। उन्होंने बताया कि लगभग 12 हजार लोगों के बैठने के लिए पण्डाल तैयार हो रहा है। उत्सव में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को प्रसाद मिलेगा।
श्री श्याम परिवार लखनऊ के मुख्य संरक्षक राधेमोहन अग्रवाल ने बताया कि ‘नानी बाई रो मायरो’ अटूट श्रद्धा पर आधारित प्रेरणादायी कथा है। कथा के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण का गुणगान किया जाता है। भगवान को यदि सच्चे मन से याद किया जाए तो वे अपने भक्तों की रक्षा करने स्वयं आते हैं। नानी बाई रो मायरो की शुरूआत नरसी भगत के जीवन से हुई।
नरसी का जन्म गुजरात के जूनागढ़ में आज से 600 साल पूर्व हुमायूं के शासनकाल में हुआ। नरसी जन्म से ही गूंगे-बहरे थे। वो अपनी दादी के पास रहते थे। उनका एक भाई-भाभी भी थे। भाभी का स्वभाव कड़क था। एक संत की कृपा से नरसी की आवाज आ गई तथा उनका बहरापन भी ठीक हो गया। नरसी के माता-पिता गांव की एक महामारी का शिकार हो गए। नरसी का विवाह हुआ लेकिन छोटी उम्र में पद्यी भगवान को प्यारी हो गई। नरसी जी का दूसरा विवाह कराया गया। समय बीतने पर नरसी की लड़की नानीबाई का विवाह अंजार नगर में हुआ। इधर नरसी की भाभी ने उन्हें घर से निकाल दिया। नरसी श्रीकृष्ण के अटूट भक्त थे। वे उन्हीं की भक्ति में लग गए। भगवान शंकर की कृपा से उन्होंने ठाकुर जी के दर्शन किए।
उसके बाद तो नरसी ने सांसारिक मोह त्याग दिया और संत बन गए। उधर नानीबाई ने पुत्री को जन्म दिया और पुत्री विवाह लायक हो गई किंतु नरसी को कोई खबर नहीं थी। लड़की के विवाह पर ननिहाल की तरफ से भात भरने की रस्म के चलते नरसी को सूचित किया गया। नरसी के पास देने को कुछ नहीं था। उसने भाई-बंधु से मदद की गुहार लगाई किंतु मदद तो दूर कोई भी चलने तक को तैयार नहीं हुआ। अंत में टूटी-फूटी बैलगाड़ी लेकर नरसी खुद ही लड़की के ससुराल के लिए निकल पड़े। उन्होंने बताया कि नरसी जी अपनी पुत्री नानी बाई का मायरा भरने गए थे, नरसी जी गरीब ब्राह्मण थे । मायरा भरना नामुमकिन था।
उलटे मायरे में उच्च कुलीन वर्ग के लोगों के स्थान पर 15-16 वैष्णव भक्तों की टोली के साथ अंजार नगर पहुच गए थे, जो उनकी बेटी का ससुराल था। गरीबी के चलते उनके तरह तरह के अपमान किये गए, पर सब कुछ उन्होंने भगवान के चरणों में चढ़ा दिया और सहते गये, पर भगवान से नहीं सहा गया। उनका मायरा श्री कृष्ण ने ही एक सेठ बनके भरा और समधी श्रीरंग जी द्वारा जो सपेज बनाई गई थी, उससे कही ज्यादा भर दिया जो की राजा महाराजाओं से भी बढ़ के था। अर्थात श्रीरंग जी के स्तर से कहीं ऊपर था।
प्रेसवार्ता में रूपेश अग्रवाल, श्रीकिशन अग्रवाल, गणेश प्रसाद अग्रवाल, आशीष अग्रवाल ‘खन्नू’ अरविन्द अग्रवाल, अंकूर अग्रवाल आदि लोग थे।