लखनऊ। कोल्ड ड्रिक व ठंडा खाने से निमोनिया नहीं होता है। हालांकि निमोनिया देश में होने वाली पांच वर्ष से कम उम्र के शिशुओं की मौत की प्रमुख वजहों में एक मानी जाती है। निमोनिया की चपेट में आने से बच्चों की जितनी मौंतें होती हैं। उसमें कमी लाई जा सकती है। यह जानकारी इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स लखनऊ के सचिव डा.आशुतोष वर्मा ने पत्रकार वार्ता में दी। वह गुरुवार को सप्रू मार्ग स्थित स्थित एक होटल में पत्रकार वार्ता को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि निमोनिया से हमारे देश में प्रत्येक 2 मिनट में 1 बच्चे की जान चली जाती है। इस भयावह स्थित को रोकने में हम सक्षम हैं। काफी लोगों को भ्रम होता है कि ठंडा खाने, चिल्ड कोल्ड ड्रिंक पीने आदि से निमोनिया हो जाता है।
बलगम, हाथ का संक्रमण, कुपोषण व प्रदूषण के कारण निमोनिया होने की आशंका होती है। उन्होंने कहा कि लाखों बच्चों को इस जानलेवा बीमारी से बचाने के लिए भारत सरकार ने न्यूमोकोकल कान्जुगेट वैक्सीन को अपने इम्युनाइजेशन प्रोग्राम में शामिल किया है। जिसके बाद प्रदेश के कई जिलों के सरकारी अस्पतालों में यह वैक्सीन मुफ्त में लगाई जा रही है। वर्ष 20 18 तक 90 प्रतिशत इम्युनाइजेशन करने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में निमोनिया के कारण होने वाली कुल मौंतों में से एक तिहाई मौंतों के लिए न्यूमोकोकल निमोनिया के कारक बैक्टीरिया स्ट्रैप्टो कोकस निमोनिया जिम्मेदार है। उन्होंने बताया कि 2015 में आयें एक आंकड़े के अनुसार भारत में पांच साल से कम उम्र के 5,64,200 बच्चों को न्यूमो कोकल निमोनिया था, जिसमें अकेले उत्तर प्रदेश में 1,33,200 बच्चे इस बीमारी से पीड़ित थे।
डा.आशुतोष वर्मा के मुताबिक न्यूमोकोकल कांजुगेट वैक्सीन से लाखों बच्चों को निमोनिया के संक्रमण तथा उससे होने वाली मौतें से बचाया जा सकता है। इसका टीकाकरण बच्चों में समय रहते करा दिया जाये तो निमोनिया से होने वाली मौंतों में काफी हद तक कमी लायी जा सकती है। उन्होंने बताया कि बच्चे के जन्म के बाद पहला टीका डेढ़ माह की उम्र में, दूसरा ढाई माह, तीसरा साढ़े तीन माह और चौथा बूस्टर टीका डेढ़ साल की उम्र में लगवा लेना चाहिए, पर अक्सर लोग बूस्टर टीका लगवाने में लापरवाही बरतते है, जोकि निमोनिया से दस साल तक रोकथाम करता है।