लखनऊ। डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की लैब के अंदर बुधवार देर शाम प्रशिक्षु लैब टेक्नीशियन आराम करने लगी आैर वह गहरी नींद सो गयी, जब उसकी नींद टूटी तो देखा लैब खाली था अौर वहां कोई भी नहीं है। उसने परेशान होकर लैब का दरवाजा खोलने की कोशिश की,लेकिन लैब लैब बंद हो चुकी थी। दरवाजे पर ताला लगा था।
करीब दो घंटे तक प्रशिक्षु टेक्नीशियन ने चीख चिल्ला कर गेट खुलवाने की कोशिश की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। काफी देर बाद थकहार कर उसने अपने साथियों को फोन कर खुद बंद होने की जानकारी दी। उसके साथी दोबारा संस्थान वापस पहुंचे। इसके बाद अधिकारियों को जानकारी दी गयी, तब जाकर लैब खोलकर युवती को बाहर निकाला गया। विभाग ने घटना की जांच के निर्देश दे दिया है।
लोहिया संस्थान के एकेडमिक ब्लॉक में तीसरे तल पर माइक्रोबायोलॉजी लैब संचालित होती है। प्रत्येक कार्य दिवस शाम लगभग पांच बजे लैब में बंद होती है। हमेशा की तरह बुधवार को लगभग पांच से छह बजे के बीच डॉक्टर-कर्मचारी काम समाप्त करके निकल गये। इसी दौरान एक प्रशिक्षु महिला लैब टेक्नीशियन वहां बैठे-बैठे सो गयी। वह लैब में कुर्सी पर टेक लगाकर सो गयी। कर्मचारियों की लापरवाही थी कि प्रशिक्षु सो रही है। इसका ध्यान ही नहीं दिया। लैब के मुख्य गेट के दरवाजे में ताला लगाकर चल दिये। एक घंटे बाद महिला टेक्नीशियन की नींद खुली, तो उसने देखा लैब बंद हो चुकी है। वह घबरा गयी आैर काफी देर दरवाजा खोलवाने के लिए चीखती-चिल्लाती रही, लेकिन उसकी आवाज बाहर किसी ने नहीं सुनी। डर-सहमी महिला टेक्नीशियन लैब में रोने लगी।
फिर उसे अपने फोन की याद आयी आैर अपने साथियों को फोन कर पूरी घटना की जानकारी दी। आनन-फानन साथी लैब पहुंचे आैर जिम्मेदार अधिकारियों को सूचना दी। फोन कर कर्मचारियों को बुलवाया गया। तब जाकर लैब का ताला खुला। हैरान परेशान पसीने से तर-ब-तर महिला टेक्नीशियन बाहर निकली। तब उसके साथियों व परिजनों को राहत मिली। माइक्राबायोलॉजी विभाग प्रमुख डॉ. ज्योत्सना अग्रवाल का कहना है कि घटना की जांच कराई जा रही है। टेक्नीशियन पूरी तरह ठीक हैं। नींद आने के कारण से घटना घटी, हालांकि दरवाजा बंद करते वक्त कर्मचारियों को भी ध्यान देने की जरूरत है। रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।