चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला प्रथम देश बना इंडिया

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न्यूज। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग” के बाद भारत वहां पहुंच गया है जहां पहले कोई देश नहीं पहुंचा है।
अंतरिक्ष अभियान में बड़ी छलांग लगाते हुए भारत का चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3″ बुधवार शाम 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा, जिससे देश चांद के इस क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला तथा चंद्र सतह पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग” करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है।

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भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में यह ऐतिहासिक उपलब्धि ऐसे समय मिली है जब कुछ दिन पहले रूस का अंतरिक्ष यान ‘लूना 25″ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के मार्ग में दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
गत 14 जुलाई को 41 दिन की चंद्र यात्रा पर रवाना हुए चंद्रयान-3 की सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग” आैर इस प्रौद्योगिकी में भारत के महारत हासिल करने से पूरे देश में जश्न का माहौल है।

भारत से पहले चांद पर पूर्ववर्ती सोवियत संघ, अमेरिका आैर चीन ही सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग” कर पाए हैं, लेकिन ये देश भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग” नहीं कर पाए, आैर अब भारत के नाम इस उपलब्धि को हासिल करने का रिकॉर्ड हो गया है।
चार साल में भारत के दूसरे प्रयास में चंद्रमा पर अनगिनत सपनों को साकार करते हुए चंद्रयान-3 के चार पैरों वाले लैंडर ‘विक्रम” ने अपने पेट में रखे 26 किलोग्राम के रोवर ‘प्रज्ञान” के साथ योजना के अनुसार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में सफलतापूर्वक ‘सॉफ्ट लैंडिंग” की। शाम 5.44 बजे लैंडर मॉड्यूल को चंद्र सतह की ओर नीचे लाने की शुरू की गई प्रक्रिया के दौरान इसरो वैज्ञानिकों ने इस कवायद को “दहशत के 20 मिनट” के रूप में वर्णित किया।

बेंगलुरु स्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मिशन संचालन परिसर (एमओएक्स) में वैज्ञानिक खुशी से झूम उठे आैर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत अब चांद पर है तथा यह सफलता पूरी मानवता की है।
ब्रिाक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने जोहानिसबर्ग गए मोदी ने इसरो वैज्ञानिकों को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने “पृथ्वी पर एक संकल्प लिया आैर चंद्रमा पर इसे पूरा किया।”
उन्होंने कहा, “यह हमेशा के लिए याद रखने योग्य क्षण है।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत अब चांद पर है आैर अब ‘चंद्र पथ’ पर चलने का समय है।”
उन्होंने कहा, “हम नए भारत की नयी उड़ान के साक्षी हैं। नया इतिहास लिखा गया है।”
चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है आैर इस मिशन को भी चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित ‘सॉफ्ट-लैंडिंग”, चंद्रमा पर रोवर की चहलकदमी आैर वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देने के उद्देश्य से भेजा गया।

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को भविष्य के आैर अधिक चुनौतीपूर्ण अभियानों को पूरा करने का आत्मविश्वास देती है।
उन्होंने मिशन की सफलता के कुछ मिनट बाद कहा, ”हमने चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग” में सफलता हासिल कर ली है। भारत चांद पर है।””
चंद्रयान-3 मिशन पर 600 करोड़ रुपये की लागत आई आैर 14 जुलाई को इसे प्रक्षेपण यान ‘लॉन्च व्हीकल मार्क-3″ (एलवीएम-3) रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया गया था।
लैंडर आैर छह पहियों वाले रोवर (कुल वजन 1,752 किलोग्राम) को एक चंद्र दिवस की अवधि (धरती के लगभग 14 दिन के बराबर) तक काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

लैंडर में सुरक्षित रूप से चंद्र सतह पर उतरने के लिए कई सेंसर थे, जिसमें एक्सेलेरोमीटर, अल्टीमीटर, डॉपलर वेलोमीटर, इनक्लिनोमीटर, टचडाउन सेंसर आैर खतरे से बचने एवं स्थिति संबंधी जानकारी के लिए कैमरे लगे थे।

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