SIT हुई सख्त तो घोटालों पर ब्रेक

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*- प्रदेश में सर्टिफिकेट डिग्री-मार्क आकार और भर्ती घोटालों पर एस आईटी की सख्ती से लगी लगाम

*- सीएम योगी की जीरो टॉलरेंस नीति से सुपर एक्टिविटी एस आईटीआईटी*

 

 

 

 

 

 

 

 

लखनऊ। यूपी पुलिस के राज्य विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) की सख्ती का असर प्रदेश में बड़े घाटों के मामलों में निस्तारण के रूप में मिल रहा है। एसआईटी द्वारा गए कदमों का ये असर हुआ है कि प्रदेश में फर्जी डिग्री-मार्क संबंधों, सरकारी समझौते में भर्ती घोटाला, राजस्व की चोरी और छात्रवृत्ति में फाइबरता जैसे कई बड़े घोटाटा स्लेयर पर पहचान करता है। एस ने पिछले पांच वर्षों में न केवल गंभीर आर्थिक पहलुओं और प्रकरणों की समय सीमा में निस्तारण किया, बल्कि जिन शिकायतों में इस तरह के गंभीर मामले को देख रहे हैं, उन्हें भी सलाह दे रहे हैं साथ ही उनके बहरापन के प्रति सचेत हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि गंभीर मामले पर रोक लगने के साथ ही ऐसे गंभीर मामले याद नहीं आ रहे हैं। इतना नहीं एसआईटी ने पिछले पांच वर्षों में काफी गति से लंबित मामलों के साथ वर्तमान मामलों को निस्तारित किया।

 

 

 

 

 

 

साथ ही आपके ऑफिस को पूरी तरह से डिजिटाइज कर दिया गया है, जिससे मामलों के निस्तारण में तेजी दिखती है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने एसआईटी के इन प्रयासों की मेहनत की। वहीं दूसरे अन्य जांच दस्तावेजों को भी एस से आईटी सीख लेकर अपनी कार्य प्रणाली में बदलाव की सलाह दी। आसान हो कि योगी सरकार जीरो टॉलरेंस पॉलिसी के तहत काम कर रही है। इसी वादे के तहत योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में यूपी पुलिस की सभी इकाइयों की समीक्षा की बैठक की थी, जिसमें उन्होंने एसआईटी की कार्य प्रणाली की काफी आकांक्षा की थी।

 

 

 

 

 

* पिछले दस वर्षों की तुलना में पाँच वर्षों में दोगुने मामले बने*
एस डीआईटीजी रेणुका मिश्रा ने बताया कि विभाग की ओर से पिछले पांच वर्षों में देयता रिपोर्ट मामलों की जांच और विवेचना की ओर से। इस दौरान वर्तमान के साथ वर्षों से खुला आ रहे मामले भी तेजी से निस्तारण किए गए। साल 2007 से 2016 के बीच 32 माह में जहां 47 मामलों का निस्तारण किया गया, वहीं साल 2017-2023 के बीच 25 माह में ही दोहरी के करीब 88 जांचों को पूरा किया गया। इसी तरह 2007 से 2016 के बीच 31 माह में 40 मामलों की विवेचना पूरी की गई, जबकि पांच साल 2017 से 2023 के बीच 28 माह में 82 मामलों की विवेचना पूरी की गई, जिसमें दांव लगाने के मामले भी साल में शामिल हुए। इन मामलों में 1203 करोड़ का राजस्व नुकसान हुआ। वहीं 351 दोषी कर्मचारियों और अधिकारियों पर कार्रवाई की गई, जबकि 1002 को सजा दी जाएगी। विभाग ने मामलों के निस्तारण में तेजी से आने के लिए अपना खुद का 100 दिन का लुक तैयार किया, जिसमें कुल 82 मामलों के छोटे मामलों का निस्तारण का लक्ष्य रखा गया, जिनमें 41 मामले निपटाये गए। इसी तरह पिछले 6 महीने में साल 2021 से पूर्व के प्लॉट मामलों के निस्तारण का लक्ष्य रखा गया, जिसमें 42 पुराने और 12 नए मामले नए लगाए गए।

*सीबीआई के सिद्धांतों पर मेरी एसआईटी*
डीजी रेणुका मिश्रा ने बताया कि सभी मामलों की जांच और विवेचना में तेजी से आने के लिए विभागों में कई बदलाव हुए, जिससे इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए विभाग का पूरी तरह से कम्प्यूटरीकरण, डिजिटीकरण किया गया। इसके साथ अधिकारियों और विवेक को टैबलेट दिया गया। उसी विभाग में ई-ऑफिस और मामले प्रणाली को लागू किया गया, जिससे जांच और विवेचनाओं के पत्रवालों को एक क्लिक पर पढ़ना शुरू हो गया और संबंधित अधिकारियों को उनकी कमी से अवगत होने पर सूचित किया गया। वहीं जांच और विवेचना की डिटेल किसके पास कितनी जांच है, उसकी कौन सी प्रगति है और वह कितना समय लेता है आदि का डेटाबेस ई ऑफिस पर होने से मामलों के निस्तारण में तेजी से आए। डीजी ने बताया कि विभाग ने एससीआइ के मानकों के आधार पर 3 माह में जांच और 1 साल में विवेचना को पूरा करने का लक्ष्य रखा है, जिसे जल्द पूरा किया जाएगा।

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