लखनऊ। सामाजिक स्तर पर उपेक्षा के शिकार एचआईवी मरीजों को समाज में एक नया परिवेश देने की दिशा में किं ग जार्ज चिकि त्सा विश्वविद्यालय पहल यहां चल रहा है। यहां के मेट्रोमोनियल सेंटर में एचआईवी मरीजों ने शादी के लिए पंजीकरण करा रखा है। इनमें दर्जनों जोड़े शादी करने के बाद खुशहाल जिंदगी जिंदगी व्यतीत कर रहे है। खास बात यह है कि इनमें कई जोड़ों ने शिशुओं को भी जन्म दिया है जो कि एचआईवी पाजिटिव नहीं है।
पाजिटिव मरीजों ने शादी के लिए पंजीकरण कराया है –
केजीएमयू के एआरटी सेंटर में पंजीकृत एचआईवी मरीजों का इलाज किया जाता है। काफी संख्या में मरीज यहां से इलाज कराते हुए सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे है। यहां पर एचआईवी मरीजों के इलाज के साथ ही शादी करने के इच्छुक एचआईवी मरीजों के लिए मेट्रोमोनियल सेंटर खुल गया है, जिसमें अभी तक पाजिटिव मरीजों ने शादी के लिए पंजीकरण कराया है। इनमें पाजिटिव महिलाएं भी है। यहां इलाज कर रहे विशेषज्ञ डाक्टरों बताते है कि दोनों पक्षों के लम्बे मंथन के बाद ही उनमें शादी करने का चयन व निर्णय होता है। ऐसे में अभी तक लगभग दो दर्जन से ज्यादा पाजिटिव जोड़ों ने शादी भी कर चुके है। काफी जोड़ों में शादी के लिए बातचीत चल रही है। खास बात तो यह है कि शादी कर चुका एक जोड़ा के शिशु को जन्म देने के बाद सुखद जीवन व्यतीत कर रहा है। इनका शिशु एचआईवी पाजिटिव नहीं है।
इसके अलावा वर्तमान में कई महिलाएं गर्भवती है। देश के संविधान के अनुसार किसी भी महिला को मातृत्व के सुख से वंचित नहीं किया जा सकता है। ऐसे में गर्भवती होते ही डाक्टरों की देखरेख में महिला को दवा दी जाती है, जिसके सेवन से एचआईवी पाजिटिव शिशु होने की उम्मीद कम रहती है। उन्होंने बताया कि कई जोड़े तो पहले भी एचआईवी पाजिटिव थे आैर उन्हें इसकी जानकारी ही नही थी। शिशु को जन्म देने के बाद वह निगेटिव निकला। उन्होंने बताया कि आवश्यक नहीं है कि एचआईवी पाजिटिव जोड़े को पाजिटिव शिशु ही पैदा हो। डाक्टरों का मानना है कि लगभग सौ पंजीकृत बच्चों का तो एचआईवी का इलाज चल रहा हो जो कि इलाज के बाद सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे है।