डाक्टर बोले : हम यहां है, पर परिवार को मदद तो मिले…

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लखनऊ। कोविड- 19 के संक्रमित मरीजों के इलाज में लगे कोरोना वारियर्स डॉक्टरों और कर्मचारियों के सामने एक नयी समस्या आ गयी है। कोरोना मरीजों के इलाज में एक हफ्ते की ड्यूटी के बाद 14 दिन क्वॉरेंटाइन रहना है। ऐसी स्थिति में उनके परिजन रोज मर्रा की दिक्कतों से परेशान होने लगे है। ड्यूटी में काफी संख्या में ऐसे डॉक्टर तो ऐसे हैं जिनकी पत्नी चिकित्सा या अन्य इमरजेंसी सेवाओं से जुड़ी है। उनको भी ड¬ूटी पर जाने के लिए छोटे बच्चों को घर में अकेले रहना पड़ता है। इन डॉक्टरों ने समस्या बताते हुए एक मांग की है कि अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई केयरटेकर मिल जाए, तो निश्चिंत होकर के ड्यूटी कर सकेंगे।

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केजीएमयू में कोरोना संक्रमित पॉजिटिव मरीज भर्ती होकर इलाज कि या जा रहा है। इन दिनों चौथी टीम ड्यूटी कर रही है, इस टीम में एक फैकल्टी मेम्बर के साथ ही अन्य डॉक्टर भी ड्यूटी पर मौजूद रहते हैं। इसके अलावा टीम में आठ नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ तैनात रहते है। विशेष बात यह है कि कोरोना के मरीजों के इलाज में लगने वाली टीम में युवा डाक्टरों का ही चयन किया जाता है। कोई किराए पर रह रहा है तो किसी के पास खुद का फ्लैट है, लेकिन ज्यादातर एकल परिवार में रहते है। ऐसी स्थिति में कोरोना संक्रमित मरीज के इलाज में लगने पर लगभग 21 दिन तक घर से बाहर रहना पड़ता है। लॉक डाउन की वजह से आने जाने के लिए संसाधन और घरेलू सामग्री के लिए इन्हें चिंता सताती रहती है।

डाक्टरों का कहना है कि अस्पताल प्रशासन की ओर से क्वॉरेंटाइन में रहने वाले डॉक्टरों के परिजनों का ध्यान रखने के लिए एक टीम बनायी जानी चाहिए। यदि परिवार के किसी सदस्य को आपात स्थिति में कोई जरूरत पड़ती है, तो संबंधित व्यक्ति को तत्काल भेजा जा सके। कुछ ऐसा ही तर्क अन्य चिकित्सा कर्मी व पैरामेडिकल स्टाफ भी देते हैं। कोरोनावायरस ड्यूटी करने वाले एक डॉक्टर ने बताया कि उनकी पत्नी भी सुबह अस्पताल चली जाती हैं ऐसे में बच्चे को पड़ोसी के हवाले करना पड़ता है। लॉक डाउन की वजह से टैक्सी भी नहीं मिल रही है। ऐसी स्थिति में अस्पताल जाने और आने में कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। एक नर्सिंग कर्मी ने बताया कि ड्यूटी करने से पहले उन्होंने एक रिश्तेदार को यहां बुलाया ताकि व बच्चों की देखरेख कर सकें।

उन्होंने कहा कि वार्ड में ड्यूटी खत्म होने के बाद क्वॉरेंटाइन में रहना पड़ता है, ऐसी स्थिति में अस्पताल प्रशासन को सहयोग करना चाहिए। इस बारे में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एसएन शंखवार का कहना है कि कोरोना वार्ड में ड्यूटी करने वाले चिकित्सकों एवं चिकित्सा कर्मियों के लिए ऐसी कोई गाइडलाइन नहीं है। फिर भी अस्पताल प्रशासन उनके साथ है । आपात स्थिति में किसी तरह की जरूरत पड़ने पर अपने साथियों से मदद ली जा सकती है। फिर भी कोशिश की जाएगी, कि वार्ड में ड्यूटी करने वालों को कुछ सुविधाएं दी जाए ताकि वे निश्चिंत होकर के ड्यूटी कर सकें।

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