बच्चों को डांट फटकार नहीं,इस तकनीक से बनाये अनुशासित

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Photo Credit: http://genpsych.com

 

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लखनऊ। प्रत्येक अभिभावक को जानने की ज़रूरत है कि बच्चों में अनुशासित रखने के लिए सिर्फ सजा ही आवश्यक नहीं है। अक्सर देखा गया है कि सजा देने से बच्चे अपना व्यवहार में परिवर्तन नहीं कर पाते। उल्टे डांट पड़ने के कारण से वह व्यथित पीड़ा से उनके अंदर नकारात्मक भाव पैदा होने लगती है, जिससे उनका मानसिक हेल्थ के साथ ही फिजिकल भी खराब होने लगती है। सम्भावना रहती है कि उनके पूरे कैरियर पर इस नकारात्मकता का प्रभाव पड़ जाता है। इसको लेकर अभी भी शोध हो रहे है। बच्चों के अच्छा बनाने के लिए शुरु से ही टाइम आउट के सिद्धांत का पालन करना चाहिए।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

यह बात किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के मनोचिकित्सक प्रो. आदर्श त्रिपाठी ने दी है। उन्होंने बताया कि वह इस विषय पर लगातार अध्ययन कर रहे है। डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि बच्चा जब कोई गलती करता है तो हमेशा की तरह अभिभावक उसे डांट- फटकार लगाते हैं, कई बार तो आक्रोशित हो कर बच्चों की पिटायी भी कर देते हैं, लेकिन हर अभिभावकों को ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों को सजा देकर आप उन्हें अनुशासित नहीं कर सकते। सजा देने पर बच्चों के अंदर नकारात्मक विचार उत्पन्न होने लगते हैं, पीड़ा और दुख का अहसास होता है, जिससे वह सीखने की बजाय और उधेड़बुन में बना रहता है। इस कारण वह कुछ सीख नहीं पाते।

 

 

 

 

 

 

 

 

उन्होंने बताया कि ऐसे में जब बच्चा कोई गलती करें, तो उसे डांटने की बजाय टाइम आउट के सिद्धांत का पालन करना चाहिए।
डॉ आदर्श ने बताया कि टाइम आउट सिद्धांत वह नियम है जिससे बच्चा परेशान होने की बजाय अपनी गलतियों को जानता समझता और सीखता है। बच्चा जब भी कोई गलती करें तो उसे ऐसी स्थान पर बैठाना चाहिए। जहां पर मोबाइल वीडियो गेम खिलौने आदि कोई सामान ना हो। वह स्थान एकदम शांत होनी चाहिए।

 

 

 

 

 

 

 

 

इस दौरान विशेष ध्यान यह रखना चाहिए कि यदि बच्चा चार वर्ष का है तो उसे 4 मिनट, 6 साल का है तो उसे 6 मिनट और यदि 8 साल का है तो उसे 8 मिनट उस स्थान पर बैठने का निर्देश देना चाहिए। जिस बच्चे की जितनी उम्र हो उसे उतने मिनट शांत स्थान पर बैठाना चाहिए। ऐसे में जब बच्चा एकांत जगह पर बैठता है,तो वह इस बात का ध्यान करता है कि वह क्या कर रहा था। उसके अंदर पैदा हुए नकारात्मक विचार समाप्त होते हैं और वह मंथन कर पाता है कि उसने क्या गलती की है।

 

 

 

 

टाइम आउट का समय समाप्त होने के बाद अभिभावक रिलैक्स हो कर बच्चों से बात करें और उन्हें बताएं कि उनका कार्य व्यवहार किस तरह से गड़बड़ी की थी। उसकी इस हरकत से क्या परेशान हो सकती थी। ऐसा करने से निश्चित तौर पर बेहतर रिजल्ट मिलेंगे। यह नियम अपनाने से बच्चों के लाइफ में अच्छा रिजल्ट आने की संभावना होती होगी। वह मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते हैं और अपने जीवन में बेहतर कार्य कर पाते हैं।

 

 

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