लखनऊ। सोमवार को धनत्रयोदशी (धनतेरस) के रूप में मनायी जायेगी। इस वर्ष धनतेरस पर कन्या राशि और हस्त नक्षत्र का संयोग मिल रहा है। ज्योतिषचार्यो की माने तो त्रयोदशी तिथि चार नवम्बर को रात 01ः25 से प्रारम्भ होकर 5 नवंबर को रात्रि 11ः47 तक रहेगी। इस दिन कुबेर की पूजा आैर भगवान धनवन्तरी जयंती मनायी जाएगी। आयुर्वेद के जन्मदाता भगवान धनवन्तरी कहे जाते है। इस दिन यमदीप दान किया जाता है। संध्याकाल को आटे या मिट्टी के दीपक में तेल डालकर चार बत्तियां जलाकर मुख्य द्वार पर रखे जाने का विधान है। कहा जाता है कि इस दीपदान से असामयिक मृत्यु का भय समाप्त होता है। इस दिन बर्तन, चांदी, सोना, वाहन, प्रापर्टी, इलेक्ट्रानिक सामान, वस्त्र आदि खरीदना शुभ व समृद्विकारक होता है।
खरीदारी के लिए धनतरेस का शुभ मुहूर्त चौघड़ियानुसार शुभ- प्रातः 9ः06 से 10ः28, चर – दिन 01ः12 से 02ः33, लाभ- दिन 02ः33 से 03ः55, अमृत- दिन 03ः55 से 05ः17, चर- 05ः17 से 06ः55, लाभ- रात्रि 10ः12 से 11ः50 बजे तक है। अभिजीत मुहूर्त- दिन 11ः27 से 12ः11 प्रदोष काल सांय 5ः17 से 7ः54 (अतिशुभ) वृषभ लग्र-सांय 05ः54 से 07ः50 तक (अतिशुभ) है। धनतेरस में पूजा का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल सांयकाल 05ः17 से 07ः54, वृषभ काल लग्न 05ः54 से 07ः50 तक है।
ज्योतिषाचार्यो के अनुसार आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से पूरे वर्ष भर आरोग्यता बनी रहती है। सोमवार को धनतेरस पर हस्त व चित्रा नक्षत्र का समयोग मिल रहा है, इसलिए धन त्रयोदशी अत्यन्त ही शुभ हो गयी है।
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