लखनऊ। बच्चों में मोटापे के कारण डायबिटीज तेजी से बढ़ रहा है। बच्चों में फास्ट फूड का सबसे ज्यादा चलन होता है आैर इसके बदले खेलकूद या व्यायाम न करना है। यह बात बंगलौर से आए डा अरविन्द्र जगदीश ने तीन दिवसीय रिसर्च सोसाइटी फॉर स्ट्डी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया कान्फ्रेस में सम्बोधित करते हुए कही। कन्वेशन सेंटर में चल रही कान्फ्रेस रविवार को समापन हो गया।
कान्फ्रेस में देश के विभिन्न हिस्सों से आए वक्ताओं ने डायबिटीज विषयक व्याख्यान दिया।
डा. अरविन्द्र ने कहा कि बच्चों के खान पान की आदत लगातार बदल रही है। घर के बने भोजन को छोड़कर रेस्ट्रोरेंट के खान पान को ज्यादा पसंद किया जा रहा है, इसके साथ फास्ट फूड का चलन भी मोटापे का कारण बनता जा रहा है। खान पान में बदलाव के अलावा खेलकूद या व्यायाम भी नही किया जाता है। मोबाइल गेम, अन्य कारणों से लैपटाप, क म्प्यूटर पर अधिक समय गुजरता है। ऐसे में मोटापा बढ़ने के साथ ही डायबिटीज भी हो रही है।
उन्होंने कहा कि बच्चों में टाइप वन डायबिटीज बहुत ज्यादा जांच के दौरान मिलती है। इस पर विशेषज्ञ डाक्टर की देखरेख में इलाज करने पर किसी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है।
तीन दिवसीय कान्फ्रेस में हिंदी भाषा में डायबिटीज संबंधित एक संकलन का विमोचन किया गया। कान्फ्रेस में महिलाओं में डायबिटीज संबंधित सामाजिक परेशानियां, मोटापे का डायबिटीज से संबंध पर गहन मंथन हुआ। संस्था के चेयरमैन प्रो अनुज माहेश्वरी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में डायबिटीज के फैलाव और इसके रोकथाम की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में न्यूट्रिशनिस्ट द्वारा डायबिटीज के मरीजों के लिए स्वास्थ्यवर्धक खानपान की जानकारी दी गयी।
डायबिटीज में कब कौन सा आहार कैसे लिया जाए। हैदराबाद से आई डा लिली रोड्रिग्स ने महिलाओं में डायबिटीज के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम के समापन पर छात्रों को शोध व्याख्यान के लिए पुरस्कार दिए गए जिसमे केजीएमयू के खालिद अहमद किदवई और जय तिवारी को प्रथम पुरस्कार मिला। डायबिटीज संबंधित क्विज में हिंद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज अटरिया के छात्रों ने प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया।