पचास डेसिबल से अधिक ध्वनि वाले उपकरणों का उपयोग न किया जाए
प्रतिदिन दो घंटे से अधिक समय तक हेडफोन या ईयरफोन का प्रयोग कर सकता बहरा
लखनऊ। युवाओं में ईयरफोन और हेडफोन का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। ज्यादातर कई युवा और बच्चे सड़क पर चलते वक्त और घर में बैठने पर कान में हेडफोन लगाए रहते हैं। यह उनके कान की हेल्थ को खराब कर रहा है। लगातार ऐसा करने से उनके सुनने की क्षमता कम हो रही है। विशेषज्ञ डाक्टरों ने सलाह दी कि प्रतिदिन दो घंटे से अधिक समय तक हेडफोन या ईयरफोन का प्रयोग करना उन्हें बहरा कर सकता है।
महानिदेशक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय डॉ. अतुल गोयल ने इस बारे में एक पत्र जारी किया है। उन्होंने सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं। डॉ. गोयल ने पत्र में कहा कि ऐसे कदम उठाए जाएं, जिससे युवा खासकर बच्चे ईयरफोन और हेडफोन, ब्लूटूथ जैसे व्यक्तिगत ऑडियो उपकरणों का प्रयोग कम करें। इस सम्बंध में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बुधवार को जारी आदेश में कहा ईयरफोन और हेडफोन जैसी डिवाइस का अधिक उपयोग से श्रवण क्षमता में स्थायी क्षति हो सकती है। यह युवाओं और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रहा है।
परामर्श दिया है कि पचास डेसिबल से अधिक ध्वनि वाले उपकरणों का उपयोग न किया जाए। एक दिन में दो घंटे से ज्यादा समय तक इन उपकरणों का इस्तेमाल न करें। बच्चों में स्क्रीन टाइम कम करें। ऑनलाइन गेमिंग और सोशल मीडिया की लत से बच्चों को बचाएं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सुनने की क्षमता एक बार खत्म हो गई तो किसी इलाज या कोक्लियर इम्प्लांट लगाने से भी सुनने की क्षमता वापस नहीं आ सकती। विशेषज्ञों के अनुसार इससे टिनिटस और अवसाद जैसी मानसिक समस्याएं भी बढ़ रही हैं। सरकार ने यह भी कहा कि अगर कहीं कोई आयोजन होता है तो वहां बचने वाले संगीत का ध्वनि स्तर 100 डेसिबल से अधिक न रहे।