लखनऊ । बच्चों में
बुखार के साथ ही गले में यदि लगातार संक्रमण रहता है। इसके साथ ही यदि गले के अंदरूनी हिस्से में सूजन और जलन है तो सावधान। यह रूमेटिक बुखार के लक्षण हैं। इसमें पैर और चेहरे के साथ ही शरीर में सूजन बढ़ जाती है। गले में यह संक्रमण स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया के द्वारा होता है। यह दिल को गिरफ्त में ले लेता है । इसे रूमेटिक दिल की बीमारी (आरएचडी) कहते हैं। यदि लंबे समय तक यह परेशानी है तो सही समय पर सही इलाज से दिल को बचाया जा सकता है। पूरा एंटीबायोटिक का कोर्स डाक्टर के सालह से करना चाहिए।
संजय गांधी पीजीआई के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. अंकित साहू ने बताया कि यह बीमारी 5 से 15 साल के बच्चों को गिरफ्त में लेती है। बच्चों के दिल के वाल्व में सिकुड़न के साथ ही दिल कमजोर कर देती है। इस सिकुड़न से दिल के वाल्व में लीकेज हो जाता है। वाल्व का समुचित इलाज नहीं मिलने पर दिल की धड़कन अनियंत्रित हो जाती है। इससे दिल में खून के थक्के जमने के साथ ही लकवा या पैरालिसिस और दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। इसका इलाज बैलून वाल्वोप्लास्टी और ओपन हार्ट सर्जरी के जरिए संभव है।
यह काफी किफायती है। भीड़भाड़ व अधिक जनसंख्या वाले इलाकों में रहने वाले बच्चे इस बीमारी की जद में ज्यादा आते हैं। यह बीमारी निम्न आय वर्ग के बच्चों में अधिक होती है। यदि इसका शुरूआती दौर में इलाज मिल जाए तो मरीज ठीक हो सकता है। कुछ बच्चों में वाल्व की दिक्कत जन्मजात होती है।