लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद गोमती नगर स्थित डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल की संस्थान में विलय की कवायद में तेजी आ गयी है। बताया जाता है कि सभी कार्रवाई पूरी होने पर लगभग दो महीने का वक्त लग सकता है। एमबीबीएस के परीक्षा के पहले विलय की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। उधर विलय के बाद सबसे पहले न्यूरो इमरजेंसी शुरू करने की कोशिश की जा रही है।
एमबीबीएस की पाठ¬क्रम शुरु होने के बाद भी लोहिया अस्पताल व संस्थान में विलय होने में दिक्कतें आ रही थी। स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह विलय की बजाय एएमयू करके पाठ¬क्रम को एमसीआई के मानकों के अनुसार करने का दावा कर रहे थे। परन्तु कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संस्थान के कार्यक्रम में ही अस्पताल व संस्थान के विलय की घोषणा करके सभी अटकलों पर विराम लगा दिया। इसके बाद तो विलय की कार्रवाई में तेजी आ गयी है। अस्पताल के डाक्टरों के साथ मिलकर सबसे पहले इमरजेंसी सेवाओं न्यूरो के मरीजों को बेहतर इलाज दिये जाने की कवायद है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अभी केजीएमयू व पीजीआई में न्यूरों के मरीजों का इलाज सम्भव है, पर यहां पर बिस्तरों की कमी होने के कारण मरीजों की वेंटिग चलती रहती है। विलय के बाद न्यूरो इमरजेंसी दस बिस्तरों से शुरु होगी, क्योंकि संस्थान में एमआरआई व सीटी स्कैन की जांच की सुविधा मौजूद है। इसके अलावा न्यूूरो सर्जरी में चार विशेषज्ञों अन्य आवश्यक डाक्टर भी मौजूद है। इसके साथ ही दोनों जगह पर फीजिशियन व आर्थो के डाक्टर भी मौजूद है। ऐसे में अन्य इमरजेंसी भी शुरू करने में दिक्कत नहीं होगी। जबकि लोहिया अस्पताल में इमरजेंसी सेवाएं चालू ही रहती है।