इस अस्पताल में पहली बार किसी बच्चे का Bone marrow transplant सफल

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न्यूज। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ने लिंफोमा से पीड़ित नौ वर्षीय बच्चे का सफल अस्थि मज्जा प्रतिरोपण किया है। इस अस्पताल में बच्चों के संबंध में इस तरह का यह पहला प्रतिरोपण है।
लिम्फोमा शरीर के रोगाणु रोधी लसीका तंत्र का कैंसर होता है।
यह प्रतिरोपण वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज (वीएमएमसी) आैर सफदरजंग अस्पताल (एसजेएच) के बाल चिकित्सा रुधिर एवं कर्क रोग विज्ञान (पीएचओ) विभाग के चिकित्सकों ने किया।

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सफदरजंग अस्पताल के शिशु रोग विभाग के प्रमुख डॉ. रतन गुप्ता ने कहा कि बच्चे को उच्च जोखिम वाला ‘रिलैप्स्ड हॉजकिन लिंफोमा” था आैर दो साल पहले जब वह अस्पताल आया था तो उसका इलाज दवाओं एवं कीमोथेरेपी से किया गया।
डॉ. गुप्ता ने कहा, ”उस समय तो वह ठीक हो गया था। लेकिन एक साल बाद बीमारी फिर से उभर आई, जिसके बाद उसे फिर से अस्पताल लाया गया। इस बार बच्चे को कीमोथेरेपी दी गई आैर अंतत: अस्थि मज्जा प्रतिरोपण किया गया, जो इस तरह के उच्च जोखिम वाले रोगों के लिए निर्णायक उपचार है।

अस्पताल में वर्ष 2021 में अस्थि मज्जा प्रतिरोपण (बीएमपी) इकाई की स्थापना के बाद से केवल वयस्कों का प्रतिरोपण किया गया है। डॉक्टर गुप्ता ने कहा कि यह पहली बार है जब सफदरजंग अस्पताल में किसी बच्चे का अस्थि मज्जा प्रतिरोपण किया गया है।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि पूरी प्रक्रिया नि:शुल्क की गई आैर अगर निजी अस्पताल में यह प्रक्रिया होती तो न्यूनतम लागत 10 से 12 लाख रुपये आती।
संपूर्ण प्रतिरोपण प्रक्रिया का नेतृत्व बाल रोग विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रशांत प्रभाकर ने किया। उन्होंने एम्स, दिल्ली में बाल चिकित्सा कर्क रोग विज्ञान आैर अस्थि मज्जा प्रतिरोपण में प्रशिक्षण प्राप्त किया है।

डॉ. प्रभाकर ने बताया कि यह प्रक्रिया दो अगस्त को की गई आैर सफल प्रतिरोपण के बाद मरीज को सात सितंबर को छुट्टी दे दी गई तथा अगले दो महीने तक उसे निगरानी में रखा जाएगा।

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