लखनऊ। अब गंभीर मरीजों को वेंटिलेटर पर भर्ती चल रहे मरीज को इंडो ट्रैकियल ट्यूब डालते समय सांस की नली में चोट की संभावना को समाप्त किया जा सकता है। यह डिवाइस उन पर खास तौर कारगर है, जिन मरीजों को कोरोना, स्वाइन फ्लू या अन्य गंभीर फेफड़े का संक्रमण से पीड़ित है। इसको पीजीआइ के ओटी टेक्नोलाजिस्ट राजीव सक्सेना सहित अन्य सहयोगियों ने वीडियो लैरिंजो स्कोप डिवाइस तैयार किया है, जो कि एप के माध्यम से मोबाइल फोन से जुड़ा रहेगा, मरीज के ट्यूब डालते समय एप के जरिए देखते हुए ट्यूब डाला जा सकता है, इस दौरान सांस की नली में चोट की संभावना कम हो जाती है।
इस डिवाइस के बारे में एसोसिएशन आफ एनेस्थेसिया एंड आपरेशन थियेटर टेक्नोलाजिस्ट के अधिवेशन में देते हुए राजीव सक्सेना ने बताया कि इस डिवाइस का प्रयोग सभी ओटी टेक्नोलाजिस्ट कर सकते है। राजीव ने बताया कि अभी तक ट्यूब डालने के लिए मरीज के मुंह के पास जाकर सावधानी से देखना होता है कि ट्यूब सही जगह जा रही है कि नहीं। खास तौर पर संक्रमित मरीजों में इस प्रक्रिया को देखने से हेल्थ केयर वर्कर में भी संक्रमण की आशंका रहती है। ऐसे में इन्हे इस नयी डिवाइस का प्रयोग करते हुए संक्रमण से बचाने के साथ मरीज में सुरक्षित तरीके से ट्यूब डालने में आसानी होगी।
ओटी टेक्नोलाजिस्ट धीरज सिंह ने बताया कि ओटी के संक्रमण से बचाए रखना एक बड़ी चुनौती है, इसके लिए हम लोगों ने संक्रमित मरीजों की सर्जरी के दौरान उपकरणों को प्लास्टिक सील तकनीक प्रयोग की जा रही है, जिससे संक्रमण की आशंका कम हो गयी है। रिकार्ड और डाटा मैनेजमेंट पर ओटी टेक्नोलाजिस्ट के के कौल ने बताया कि सेंट्रल रजिस्टर बनाया गया है, जिसे हर आधे घंटे में अपडेट करते है। इससे मरीज के बारे में एनेस्थेसिया की सारी जानकारी रहती है जिसे कोई भी लाभ उठा सकता है।