लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट के तमाम दावों को शताब्दी अस्पताल की कैंटीन में धता बताकर गैस सिलेंडर से मरीजों को भोजन पकाया जा रहा है आैर दिन भर कैंटीन का संचालन किया जा रहा है, जबकि फायर बिग्रेड ने संवेदनशील बताते हुए शताब्दी अस्पताल के सांतवें तल पर गैस सिलेंडर का उपयोग करने से मना कर दिया था। इसलिए सोेलर सिस्टम से लगाकर भोजन पकाने के निर्देश दिया था। केजीएमयू के दीक्षांत समारोह के मंच से कुलपति प्रो. एमएलबी भटट् ने दावा किया था कि केजीएमयू के मरीजों का भोजन सोलर सिस्टम से शताब्दी अस्पताल में पकाया जाता है। इसमें कही भी ईधन के रूप में गैस सिलेडर का प्रयोग नहीं होता है। जब कि हकीकत इसके विपरीत है। शताब्दी अस्पताल के सांतवे तल पर चलने वाली कैंटीन में अलग- अलग स्थान पर ज्यादा से ज्यादा गैस सिलेंडर का प्रयोग किया जा रहा है।
जब कि ट्रामा सेंटर में आग लगने की घटना के बाद फायर बिग्रेड के अधिकारियों ने शताब्दी अस्पताल में चल रही कैंटीन में गैस सिलेंडर का प्रयोग बंद कराने के लिए कहा था। निरीक्षण में कहा गया था कि सातंवे तल पर कैं टीन में एक साथ कई गैस सिलेंडर का उपयोग होता है। कही से भी निकासी का रास्ता सही न होने के कारण सिलेंडर अप्रिय घटना का कारण बन सकता है। उनका मानना था कि आठवें तल पर विभाग आैर नीचे भी कई क्लीनिक विभाग होने के कारण मरीजों के लिए लाक्षा गृह बन सकता है। कैं टीन संचालक को 1905 भवन को खाली कराकर सौप दिया गया ताकि वहां पर गैंस सिलेंडर लगाकर रोटियां सेंकने व अन्य आवश्यक कार्य करने के साथ ही फास्टफूड बनाया जाता है।
केजीएमयू के निर्देशों को धता बताकर वर्तमान में शताब्दी अस्पताल के सातवें तल पर धड़ल्ले से गैंस सिलेंडर कर प्रयोग किया जा रहा है। जिसकी जानकारी केजीएमू कुलपति को नहीं है। नीचे ऊपर स्थित विभाग के मरीजों व क्लीनिकल के लोगों का कहना है कि अक्सर गैस रिसाव की बदबू आती है। शिकायत करने के बाद शताब्दी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक व केजीएमयू के अन्य जिम्मेदार अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे है। केजीएमयू प्रशासन का कहना है कि नियमों के विपरीत काम होने पर कार्रवाई की जाएगी।
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