लखनऊ। लखनऊ आर्थराइटिस कोर्स 2018 के दूसरी कार्यशाला का उद्घाटन जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने किया। गोमती नगर के निजी होटल में कार्यशाला का आयोजन मेयो हास्पिटल के सहयोग से किया गया था। कार्यशाला में जाने- माने घुटना व कूल्हा प्रत्यारोपण विशेषज्ञ मुम्बई के डा. एनएस लॉड ने कहा कि प्रत्यारोपण में इंम्लांट का चयन करना महत्वपूर्ण होता है। कार्यशाला में अन्य प्रत्यारोपण विशेषज्ञों ने प्रत्योपरण की जानकारी दी। इसके साथ ही चार लाइव सर्जरी में घुटना व कूल्हा का प्रत्यारोपण करते हुए तकनीक की जानकारी दी। आर्थोस्कोपी सर्जन डॉ. आर पी सिंह ने बताया कि दो दिन चलने वाली कार्यशाला में प्रत्यारोपण की तकनीक को आये लगभग 150 डाक्टर को अपडेट करेंगे। उद्घाटन में प्रबंधक डा. मधुलिका सिंह सहित विशेषज्ञ मौजूद थे।
डा. लॉड ने बताया कि प्रत्यारोपण किस उम्र के मरीज का कर रहे है आैर कौन सा इंम्लांट उसके सही तरीके से काम करेगा। यह ध्यान रखना विशेष होता है। मुम्बई से आये विशेषज्ञ डा. हरीश भिंडे ने बताया कि टीकेआर (टोटल नी रिप्लेसमेंट) में दौरान अगर मरीज को 72 घंटे से ज्यादा रहता है, तो जांच कराना आवश्यक हो जाता है। कहीं यह संक्रमण तो नहीं है। इसके अलावा लगाये टांको में मवाद या पकने की स्थिति को बिल्कुल नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। जांच में अगर कही कुछ भी गड़बड़ी दिखे तो दोबारा सर्जरी कर दे। ऐसा न करने पर आंतरिक स्तर इम्प्लांट व हड्डी पर असर पड़ता है।डॉ. आर पी सिंह ने कहा कि लगातार हड्डियों के दर्द की शिकायत रहती है तो नजरअंदाज ना करें। व्यायाम से वजन को नियंत्रित रखना चाहिए। कार्यशाला में हैदराबाद के डा. कृष्ण किरन, केजीएमयू के डा. अजय सिंह,डा. आशीष कुमार सहित अन्य डाक्टर मौजूद थे।
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