डेस्क। अगर शोधकर्ताओं के दावों को यकीन किय जाए तो उनके अनुसार ग्रेफाइन फ्लेक्स की एक छोटी परत जीवाणु ( बैक्टीरिया ) के खिलाफ एक घातक हथियार के रूप में कार्य कर सकती है। यह प्रत्यारोपण सर्जरी जैसी प्रक्रियाओं के दौरान संक्रमण को रोक सकती है। शोधकर्ताओं का मानना है यह बैक्टीरिया चिकित्सा क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा, क्योंकि आजकल प्रत्यारोपण में कूल्हा, घुटना तथा डेंटल सर्जिकल के मामले बढ़ रहे है।
शोध कर्ताओं के मुताबिक ग्रेफाइन कार्बन का एक प्रकार है, जिसमें कार्बन अणुओं की एक परत होती है। परत में कार्बन के अणु षटकोणीय जाली के रूप में व्यवस्थित होते हैं। बताते चले कि अनुसंधानकर्ताओं में भारतीय मूल का एक शोधकर्ता भी शामिल हैं। स्वीडन में क्लैमर्स प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा कि कूल्हे आैर घुटने के प्रत्यारोपण या दंत प्रत्यारोपण जैसे सर्जिकल प्रत्यारोपण में हाल के वर्षों में वृ्िद्ध हुई है। इस तरह की प्रक्रियाओं में , बैक्टीरिया संक्रमण का जोखिम हमेशा होता है।
क्लैमर्स यूनिवर्सिटी के संतोष पंडित ने कहा , ” हम संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया को रोकना चाहते हैं। नहीं तो , आपको एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता हो सकती है , जो सामान्य जीवाणुओं के संतुलन को बाधित कर सकती है आैर रोगाणुओं में एंटीबायोटिक के प्रति प्रतिरोधी क्षमता पैदा का खतरा भी बढा सकती है। ”
जर्नल ‘ एडवांसड मैटेरियल्स इंटरफेस” में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया है कि ग्रेफाइन फ्लेक्स की एक परत एक सुरक्षात्मक सतह बनाती है जो बैक्टीरिया को नहीं जुड़ने देती है। ग्रेफाइन शल्य प्रतिरोपण जैसी प्रक्रियाओं के दौरान संक्रमण को रोकने में सहायक होती है। जल्द ही यह शोध चिकित्सा क्षेत्र में मरीजो को वरदान साबित हो सकता है।
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