कोलकाता – देश में पंद्रह से 16 वर्ष के प्रत्येक 10 किशोरों में से एक मोटापे का शिकार है और उसके मधुमेह समेत कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आने का खतरा है। राष्ट्रीय राजधानी के बच्चे इससे सर्वाधिक 69 प्रतिशत ग्रसित हैं। एसोचैम की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली ,मुंबई, अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई , एवं कोलकाता के सरकारी और निजी स्कूलों के 10 हजार से अधिक बच्चों पर किए गये अध्ययन से यह बात सामने आयी है कि करीब 72 प्रतिशत शहरी बच्चे नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते हैं और देश के 65 प्रतिशत बच्चे मोटापे का शिकार है।
एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने बताया कि अध्ययन के अनुसार ऐसे बच्चों के मधुमेह संबंधित दिल की बीमारी, पक्षाघात , किडनी फेलेयिर ,आंखों की समस्या आदि की चपेट आने का खतरा है। बच्चों की जीवन शैली और खानपान की आदतों के कारण वे मोटापे के शिकार होते हैं और अंजाने में कई गंभीर बीमारियों की गिरफ्त में आते हैं।
बच्चों में मधुमेह खासकर उनकी खानपान की आदतों की वजह से होता है –
दिल्ली के बच्चों में मधुमेह का खतरा सबसे अधिक 69 प्रतिशत , मुंबई में 56 प्रतिशत, अहमदाबाद में 49 प्रतिशत और बेंगलुरु में 39 प्रतिशत है जबकि कोलकाता और हैदराबाद में यह यह क्रमश: 23 और 28 प्रतिशत है। एसोचैम स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष डॉ़ बी के राव ने बताया कि बच्चों में मधुमेह खासकर उनकी खानपान की आदतों की वजह से होता है। संतुलित और पौष्टिक आहार को दर किनार कर वे तेजी से फॉस्ट फूड की और आकर्षित हो रहे हैं। यह आदत बेहद घातक है। इसके अलावा वे शारीरिक गतिविधियां भी ना के बराबर करते हैं। इसके अलावा चिंता भी उनमें मधुमेह का एक महत्वपूर्ण कारण है। उन्होंने कहा कि शुरूआत में मधुमेह की पहचान हो जाने पर बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत में आठ करोड़ लोग प्री डाइबटिक हैं।
(वार्ता)