हो रहा था पेट दर्द, जांच में निकली हार्ट की खतरनाक बीमारी

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लारी कार्डियोलॉजी के विशेषज्ञ डा. प्रवेश के नेतृत्व में ही हुई ईवीआर तकनीक से जटिल सर्जरी

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकि त्सा विश्वविद्यालय के लॉरी कार्डियोलॉजी विभाग के विशेषज्ञ डाक्टरों ने इंडो वैस्कुलर एन्यूरिजम रिपेयर (ईवीएआर) तकनीक से बुजुर्ग महिला की सर्जरी करने में सफल मिली है। मरीज को डिजीज हार्ट से निकलने वाली मोटी एयोटा नस में दिक्कत बनी थी। किडनी के पास यह नस गुब्बारे की तरह फूली हुई थी। अगर इलाज में देरी होती तो नस फटने का खतरा बना था, जिससे मरीज की जिंदगी खतरे में आ सकती थी। विशेषज्ञ डॉक्टरों ने जटिल सर्जरी करके महिला मरीज को नयी जिंदगी दे दी। दावा है कि केजीएमयू में पहली बार इस तकनीक से जटिल सर्जरी की गई है।

लखनऊ की रहने वाली 67 वर्षीय महिला को पेट दर्द की दिक्कत होने लगी। तीमारदार निजी अस्पताल लेकर पहुंचे। डॉक्टरों ने जांच करने के बाद दवाएं दी। लेकिन राहत नहीं मिली। मरीज को पहले से टीबी बीमारी से भी पीड़ित है, जिसका इलाज चल रहा है। इलाज से पेट दर्द ठीक न होने पर तीमारदार मरीज को लेकर केजीएमयू के ट्रामा सेंटर पहुंचे। यहां से मरीज को लारी कॉर्डियोलॉजी विभाग भेज दिया गया।
लारी के डॉ. प्रवेश विश्वकर्मा की मरीज की केस हिस्ट्री को देखते हुए अन्य जांच करायी। जांच में पेट में किडनी के पास शरीर को ब्लड आपूर्ति करने वाली नर्व एयोर्टा में गुब्बारे की तरह सूजन नजर दिखी।

क्लीनिकल साइंस में इसे एयोर्टिक एन्यूरिजम कहा जाता है। डॉ. प्रवेश ने बताया कि हार्ट पूरे शरीर को एयोर्टा नर्व की सहायता से ब्लड सप्लाई करता है। मरीज के पेट की एयोर्टा नस में लगभग 5.6 सेंटीमीटर का एन्यूरिजम खतरनाक स्थिति में था। इस लिए मरीज का तुरंत सर्जरी करने का निर्णय लिया गया।
डॉ. प्रवेश ने बताया कि सर्जरी में इंडो वैस्कुलर एन्यूरिजम रिपेयर (ईवीएआर) तकनीक का इस्तेमाल किया गया। इसमें दोनों पैर से महीन तार डालकर विशेष स्टंट एंडोवास्कुलर ग्राफ्ट एन्यूरिजम वाले हिस्से तक पहुंचाया गया। एन्यूरिजम के हिस्से को बाईपास कर नसों को जोड़ते हुए बीच में स्टेंट प्रत्यारोपित कर दिया गया। उन्होंने बताया कि अभी तक इस तरह की परेशानी होने पर मरीज का पेट खोलना पड़ता था। ग्राफ्ट लगाकर मरीज को राहत पहुंचाई जाती थी।

ईवीएआर से बिना-चीरा टांका सर्जरी सफल है। डॉ. प्रवेश ने बताया कि निजी अस्पताल में इस सर्जरी में लगभग 15 लाख रुपए का खर्च आता। यहां करीब साढ़े छह लाख रुपए में हो गयी। इसमें पांच लाख रुपए मुख्यमंत्री राहत कोष से मरीज को मदद मिली। डेढ़ लाख रुपए मरीज को खर्च करने पड़े।
सर्जरी में डॉ. प्रवेश विश्वकर्मा के साथ डॉ. अभिषेक सिंह, लारी के विभागाध्यक्ष डॉ. ऋषि सेट्ठी, डॉ. प्रशांत , सीटीवीएस विभाग के डॉ. अमित चौधरी आदि रहे.

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