लखनऊ। आधुनिक जीवनशैली में पिज्जा, बर्गर व चाउमीन जैसे व्यंजन का चलन बढ़ गया है। जो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए मोटे अनाज को नियमित आहार में शामिल करें। इससे स्वास्थ्य बेहतर रहेगा। यह परामर्श राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दी।
राज्यपाल ने मंगलवार को अटल बिहारी वाजपेई साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में kgmu द्वारा आयोजित मिलेट्स मेले का शुभारंभ किया।
राज्यपाल ने कहा कि बदलती जीवन शैली में स्वस्थ शरीर के लिए आहार में मोटे अनाज को जोड़ना आवश्यक होता जा है। वर्ष 2023 को प्रधानमंत्री ने अन्तर्राष्ट्रीय मीलेट वर्ष घोषित किया है। उन्होंने मोटे अनाज को एक नया नाम दिया है ‘श्री अन्न’। पोषण और स्वास्थ्य की दृष्टि से ज्वार, बाजरा, चना, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू समेत अन्य फसलों का सेवन किसी न किसी प्रकार से करें। इसमें फाइबर संग कैल्शियम और आयरन की मात्रा अधिक होती है। उन्होंने कहा कि ही कुपोषण, टीबी जैसी बीमारियों पर भी लगाम कसेगी । इसके प्रति महिलाओं को और जागरूक करने की जरूरत है। राज्यपाल ने इस अवसर पर मेले में लगे मोटे अनाज से बने व्यंजनों के स्टाल को भी देखा। इस दौरान उन्हें एक स्टॉल पर मोटे अनाज से बना हुआ चूरमा बहुत अच्छा लगा जिसको उन्होंने बेझिझक चख लिया। मोटे अनाज से बने चूरमा का स्टॉल वरिष्ठ डायटिशियन मृदुल का था । यह स्टाल प्रतियोगिता में पहले स्थान पर रहा है। वरिष्ठ डाइटिशियन मृदुल ने बताया मोटे अनाज यानी कि प्रमुख रूप से ज्वार, बाजरा ,मक्का,रागी आदि के व्यंजन अब लोगों के बीच पॉपुलर होते जा रहे हैं। लोग इन व्यंजनों को प्रमुख रूप से पसंद कर रहे हैं। राज्यपाल ने केजीएमयू के रेडियो गूंज के एक वर्ष पूरे होने पर बधाई दी। केजीएमयू गूंज के माध्यम से आउटरीच कार्यक्रमों के माध्यम से स्थानीय मुद्दे जैसे कि महिलाएं, हमारी बेटियों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी सरल तरीके से पहुंचाने के साथ विशेषज्ञों की बातों को भी सहज भाषा में प्रसारित किया जाए.
उन्होंने कहा कि लोगों को जागरूक करने में गूंज रेडियो अहम भूमिका निभा रहा है। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय को नैक मूल्यांकन में ए प्लस प्राप्त करने के लिए बधाई दी। कार्यक्रम का आयोजन पर्यावरण विभाग द्वारा किया गया था जिसका पूरी तरह से आयोजन विभाग प्रमुख डॉक्टर कीर्ति श्रीवास्तव ने किया। उनके साथ केजीएमयू के सभी डाइटिशियन मौजूद थी।
रेडियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अनित परिहार ने बताया इंटरवेंशन रेडियोलॉजी वार्ड में 10 बेड होंगे। इसमें बायोप्सी, ब्रेन में क्वॉलिंग व स्ट्रोक समेत दूसरी गंभीर बीमारियों का इलाज होगा। उन्होंने बताया कि स्ट्रोक में कई बार दवाएं ठीक से काम नहीं करती हैं। छह से आठ घंटे में खून का थक्का निकाल दिया जाए तो मरीज की जान बच सकती है। इंटरवेंशन रेडियोलॉजी वार्ड में मरीज को भर्ती का इलाज मुहैया कराया जा सकता है।