लोहिया संस्थान : हार्ट डिजीज के मरीजों का इमरजेंसी वार्ड शुरू

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लखनऊ। लोहिया संस्थान में कार्डियक के इमरजेंसी मरीजों के लिए अलग से वार्ड बनाया गया है। कॉर्डियोलॉजी विभाग के नए वार्ड में पांच बेड स्थापित किए गए हैं। इसमें इमरजेंसी में हार्ट अटैक के मरीजों को भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया जाएगा।

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शुक्रवार को हार्ट अटैक के इमरजेंसी मरीजों के लिए नए वार्ड का उद्घाटन संस्थान के निदेशक डॉ. सीएम सिंह ने करते हुए कहा कि कार्डियक मरीजों को संस्थान में बेहतर इलाज मुहैया कराया जाएगा। हार्ट अटैक मरीजों को बिना देरी इलाज मिल सके, इसके लिए वार्ड तैयार किया गया है। कॉर्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. भुवन चन्द्र तिवारी ने कहा कि आठ जिला सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों को हार्ट अटैक इलाज के लिए प्रशिक्षित किया गया है। इसमें बाराबंकी, अयोध्या, बलरामपुर अम्बेडकर, सुलतानपुर, श्रावस्ती, गोंडा, सुलतानपुर व बहराइच के डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया गया है। शीघ्र ही आजमगढ़ को भी जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि इन जिलों के डॉक्टर हार्ट अटैक के मरीजों को इलाज देंगे। ईसीजी की रिपोर्ट देखकर लोहिया संस्थान के डॉक्टर इलाज का प्रोटोकॉल तय करेंगे। इसके बावजूद जब मरीज को फायदा नहीं होगा तो उन्हें एम्बुलेंस से लोहिया लाया जाएगा। तीसरे तल पर स्थित कॉर्डियोलॉजी विभाग के हार्ट अटैक वार्ड में इन मरीजों को भर्ती कर इलाज मुहैया कराया जाएगा।

डॉ. आशीष झा ने बताया कि हार्ट अटैक के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है। कम उम्र के लोगों को हार्ट अटैक हो रहा है। शारीरिक रूप से तंदुरुस्त दिखने वालों की हार्ट अटैक से मौत हो रही है। हार्ट की बीमारी से बचने लिए नियमित पैदल चले। तली-भुनी वस्तुओं के सेवन से तौबा करें। साइकिल चलाएं। हरी साग सब्जियां व फलों का अधिक से अधिक सेवन करें, जिनके परिवार में किसी को दिल संबंधी बीमारी है वे और अधिक संजीदा रहें। समय-समय पर ब्लड प्रेशर व दिल की सेहत की जांच कराएं।

चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा कि हार्ट अटैक का समय पर इलाज जरूरी है। इससे काफी हद तक मरीजों की जिंदगी बचाई जा सकती है। समय पर मरीजों को इलाज मिल सके। इसके लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है।

हार्ट अटैक समेत दिल की दूसरी गंभीर बीमारियों के इमरजेंसी में इलाज के लिए डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। दवा व जांच की पुख्ता व्यवस्था जिला स्तर के सरकारी अस्पतालों में की जा रही है। सीएचसी व पीएचसी के डॉक्टर-पैरामेडिकल स्टाफ को भी लक्षणों की पहचान व सीपीआर का प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है।

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