न्यूज। नेशनल इंस्टीट््यूट ऑफ वाइरोलॉजी (एनआईवी) ने कहा है कि राजस्थान की राजधानी जयपुर के मरीजों में लिए गये नमूनों में पाये गये जीका वायरस की प्रजाति कम घातक और कम संक्रामक है। हालांकि जीका वायरस की चपेट में आ चुकी गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की सजग निगरानी कर रही है।
स्वास्थ्य मंत्रालय से जारी विज्ञप्ति के अनुसार पुणे स्थित एनआईवी ने जयपुर में पिछले दिनों जीका वायरस के फैलने के दौरान विभिन्न समयों पर अलग- अलग मरीजों में वायरस की पाँच प्रजातियों की जाँच की गयी। एनआईवी ने एडवांस्ड मोलेक्यूलर अध्ययन में पाया कि एडिज मच्छरों में मौजूद जीका वायरस की प्रजाति और राजस्थान में पायी गयी इसकी प्रजाति में अंतर है तथा जयपुर का वायरस उतना संक्रामक तथा घातक नहीं है।
मंत्रालय ने बताया कि इसके बावजूद वह जीका वायरस की चपेट में आ चुकी गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की सजग निगरानी कर रही है, क्योंकि ये वायरस म्यूटेशन के जरिये गर्भस्थ बच्चों में अपनी प्रजाति बदल सकते हैं। जो बच्चों के लिए घातक या जन्मजात दोषों का कारण हो सकता है।
जयपुर में करीब दो हजार संभावित नमूने लिऐ गये हैं, जिनमें 159 मरीज जीका वायरस से प्रभावित पाये गये हैं। मंाायल ने आश्वस्त किया है कि सरकार वायरस की जाँच तथा अनुसंधान करने वाली प्रयोगशालाओं को पर्याप्त जाँच किट उपलब्ध करा रही है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जरिये इलाके की सभी गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की निगरानी हो रही है।
बताते चले कि इस समय 86 देशों से जीका वायरस के मामले आ रहे हैं।
इसके लक्षण डेंगू जैसे हैं। इसमें मरीज को बुखार, शरीर पर चकते, आँखों का आना, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, सिर दर्द आदि की शिकायत रहती है। देश में इसका पहला मामला पिछले साल जनवरी- फरवरी में अहमदाबाद में पाया गया था। इसके बाद जुलाई 2017 में तमिलनाडु के कृष्णागिरि जिले में इसका पता चला था।
अब PayTM के जरिए भी द एम्पल न्यूज़ की मदद कर सकते हैं. मोबाइल नंबर 9140014727 पर पेटीएम करें.
द एम्पल न्यूज़ डॉट कॉम को छोटी-सी सहयोग राशि देकर इसके संचालन में मदद करें: Rs 200 > Rs 500 > Rs 1000 > Rs 2000 > Rs 5000 > Rs 10000.