लखनऊ । असुरक्षित यौन संबंध बढ़ने से अब महिलाओं के साथ ही पुरु षों और समलैंगिकों को भी सर्वाइकल कैंसर तेजी से फैल रहा है। विदेशों में पुरु षों में ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के मामले काफी बढ़े हैं। देश में सर्वाइकल कैंसर के कुल मामलों में 26 फीसदी पुरु ष इससे संक्रमित हैं। यह जानकारी लखनऊ एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के उपाध्यक्ष डा. आशुतोष वर्मा ने बृहस्पतिवार को गोमती नगर के होटल ताज में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से पब्लिक हेल्थ इनिशिएटिव के तहत कॉनक्योर एचपीवी एंड कैंसर कॉनक्लेव का आयोजन किया गया।
लखनऊ एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के पूर्व अध्यक्ष रहे डा. अभिषेक बंसल ने बताया कि भारत एचपीवी से जुड़ी बीमारियों की चुनौती का लगातार सामना कर रहा है। देश में स्तन कैंसर के बाद सर्वाइकल दूसरा सबसे बड़ा कैंसर का बन चुका है। आईसीओ, आईएआरसी इंफारमेशन सेंटर ऑन एचपीवी एंड कैंसर वर्ष 2023 के मुताबिक हर साल भारत में करीब सवा लाख सर्वाइकल कैंसर के मामले सामने आते हैं, इनमें 77 हजार मौत हो जाती हैं।
डा. संगीता मेहरोत्रा और कैंसर संस्थान की डा. सौम्या गुप्ता ने कहा कि एचपीवी से सिर्फ सर्वाइकल कैंसर ही नहीं होता है, बल्कि इससे वैजाइना, गुदा, लिंग, ओरोफेरिंक्स समेत छह प्रकार के कैंसर होते हैं। यह महिला और पुरु षों को समान रूप से प्रभावित करता है। एचपीवी संक्रमण का खतरा 15 से 25 साल की उम्र के बीच अधिक होता है। इसको रोकने के लिए नौ साल की उम्र से ही एचपीवी वैक्सीन लगाई जाती है। सीरम इंस्टीट्यूट की ओर से तैयार डोज महज दो हजार रु पए में लगाई जा रही है। इस मौके पर डा. सोनिया लूथरा, डा. उत्कर्ष बंसल ने भी सर्वाइकल कैंसर पर विचार साझा किये।