नई दिल्ली: इको बायोट्रैप्स (EBT) और रैटोकिल PCI (RPCI) ने मच्छरों से पैदा होने वाली बीमारियों से आम जान को सुरक्षा दिलाने के लिए साझेदारी की है यह साझेदारी मच्छरों के खिलाफ लड़ाई में एक उम्मीद की किरण बनकर उभरी है। इको बायोप्स का क्रांतिकारी मच्छर नियंत्रण समाधान रैटोकिल PCI की व्यापक पहुँच और उनकी बेहतर सेवा के साथ तालमेल बिठाकर दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती यानी मच्छरों से पैदा होने वाली बीमारियों से समाधान दिला सकती है।
ईको बायोप्स का मच्छर नियंत्रण समाधान अगर वैज्ञानिक तरीके से निरंतर समय के लिए RPCI के सर्विस एक्सपर्टीज के साथ लागू किया जाए तो वर्कप्लेस, स्कूल, हॉस्पिटल, होटल, रिसोर्ट, रेस्टोरेंट और IT पार्क आदि को प्रभावी तरीके डेंगू मच्छर फ्री जोन बनाया जा सकता है।
इको बायोट्रैप्स के सीईओ और फाउंडर श्री प्रसाद फड़के ने RPCI के साथ साझेदारी पर कहा, “रैटोकिल PCI के
साथ हमारी साझेदारी सार्वजनिक स्वास्थ्य और मच्छर नियंत्रण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
ईकोबायोप्स मात्र मच्छरों को नियंत्रित करने का समाधान नहीं है बल्कि यह मच्छरों की बीमारी की रोकथाम
और नियंत्रण में एक बेहतर बदलाव है। ईकोबायोप्स का साइंटिफिक इनोवेशन और RPCI की सर्विस एक्सपर्टीज
तथा पहुँच और दोनों संगठनों की मानव समाज के प्रति बेहतर करने की प्रतिबद्धता मच्छरों से पैदा होने वाली
बीमारियों की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इस साझेदारी से एक ऐसे भविष्य के निर्माण के लिए
रास्ता साफ होगा जहाँ मच्छर से होने वाली बीमारियों का कोई नामो-निशान नहीं होगा।
मच्छरों को लोग अक्सर कम खतरनाक समझते हैं लेकिन इनके काटने से होने वाली बीमारियाँ बहुत जानलेवा होती है। इस वजह से इन्हें यह पर मौजूद सबसे घातक जीव का दर्जा प्राप्त है। अकेले भारत में हर साल लगभग 40 मिलियन लोग मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियों की चपेट में आते हैं। मच्छरों के काटने से डेंगू, मलेरिया, दिमागी बुखार और पीले बुखार जैसी खतरनाक बीमारियाँ होती है। इन बीमारियों की गंभीरता के कारण ही इनकी रोकथाम के लिए नई रोकथाम रणनीतियों का उपयोग करने की जरूरत है।
रैटोकिल PCI के मैनेजिंग डायरेक्टर डेविड लुईस ने साझेदारी की पुष्टि करते हुए कहा, “हमारी साझेदारी कई मायनों में काफी अलग है क्योंकि यह साझेदारी विशेषज्ञता और समर्पण के मिश्रण का एक उदाहरण है। यह साझेदारी वेक्टर जनित बीमारियों से निपटने और सस्टेनबिलिटी तथा पर्यावरणीय प्रबंधन का सहयोग करते हुए मानव जीवन की रक्षा करने की शानदार प्रतिबद्धता को दर्शाती है।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक आंकड़े के अनुसार, मच्छरों से होने वाली बीमारियाँ हर साल 700,000 से ज्यादा
लोगों की जान ले लेती हैं। इस वजह से यह दुनिया में एक बहुत बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता बन गयी हैं।
मलेरिया मच्छरों से फैलने वाली भारत में एक प्रमुख बीमारी है। 2019 में लगभग 338,000 मामले मलेरिया के
केस सामने आए थे। इसके अलावा डेंगू भी मच्छरों से पैदा होने वाली एक बीमारी है। 2019 में डेंगू ने 157,000 से
ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में लिया था। इस तरह की बीमारियों की गंभीरता तत्काल रोकथाम सम्बन्धी कदम उठाने की मांग करती हैं।
संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के अनुसार, 2030 तक मलेरिया को खत्म करने के भारत के उद्देश्यों को पूरा करने में ईको बायोप्स और रैटोकिल PCI की साझेदारी बहुत महत्वपूर्ण है। भारत ने मलेरिया को खत्म करने के लिए जो कदम उठाये है, उनका असर साफ तौर पर देखने को मिला है क्योंकि देश में 2019 में मलेरिया के मामलों में 28% और मलेरिया से संबंधित मौतों में 41% की भारी गिरावट देखी गई है। फिर भी अभी बीमारी की गंभीरता बनी हुई है, इसलिए इसे जड़ से खत्म करने के लिए प्रयास करते रहने की जरुरत है।
प्रसाद खड़के ने आगे कहा, “हमारे ईको फ्रेंडली जालों से मच्छरों के प्रजनन स्थलों को लक्ष्य बनाके हमारा उद्देश्य डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों के खिलाफ सुरक्षा कवच तैयार करना है। रैटोकिल PCI के साथ मिलकर हम एक ऐसे भविष्य की कल्पना करते हैं जहां लोग मच्छरों से होने वाली बीमारियों से पूरी तरह से मुक्त होंगे।”
इस साल के मानसून सीजन से इस साझेदारी का प्रभाव और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। मच्छरों के प्रजनन स्थलों को सावधानीपूर्वक टारगेट करके RPCI’S के बड़े नेटवर्क के जरिये वितरित और सेवा प्रदान किए जाने वाले इको बायोट्रैप्स सबसे ज्यादा बीमारी फैलने के समय के दौरान मच्छरों की आबादी को कम करने और बीमारियों को फैलने से रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
जैसे-जैसे भारत उन्नति कर रहा है वैसे-वैसे भारत एक स्वस्थ देश के सपने को पूरा करने के लिए तैयार हो रहा है।
इस दिशा में इको बायोट्रैप्स (EBT) और रैटोकिल PCI (RPCI) की साझेदारी की ताकत आशा और प्रगति की
किरण बनकर उभरी है।
इको बायोट्रैप्स (EBT) के बारे में
इको बायोट्रैप्स भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका में चलने वाला वाला एक लाभकारी सोशल इंटरप्राइज है। इको बायोट्रैप्स मच्छरों की समस्याओं से निपटने के लिए प्रकृति के साथ पुनः जुड़ने के कांसेप्ट को अपनाता है। इको बायोट्रैप्स मच्छरों के प्रजनन को प्रभावी ढंग से रोककर बीमारी की रोकथाम करके और सुरक्षित वातावरण को बढ़ावा देकर एक अनूठा दृष्टिकोण अपनाता है। उनका प्रमुख समाधान एक सरल और प्रकृति की ओर वापसी को दर्शाता है। उनका समाधान पर्यावरण को स्वस्थ बनाये रखते हुए शक्तिशाली सुरक्षा प्रदान करता है। ईको बायोट्रैप्स का मच्छर को नियंत्रित करने वाला उपकरण वैज्ञानिक रूप से मान्य है और यह डेंगू, चिकनगुनिया, फाइलेरिया, एन्सेफलाइटिस, जीका, पीला बुखार, मलेरिया, वेस्ट नाइल और अन्य गंभीर बीमारियों से बचाता है।