न्यूज। ‘सेप्सिस” का इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक प्रतिरोधी होने के चलते कई नवजात शिशु की मृत्यु हो रही है। वैश्विक स्तर पर किये गये एक अध्ययन में यह सामने आया है।
अध्ययन में भारत सहित 11 देशों में संक्रमण का सामना कर रहे 3,200 नवजात शिशुओं को शामिल किया गया।
बताते चलें कि सेप्सिस, एक जानलेवा रक्तप्रवाह संक्रमण है जो विश्वभर में वर्षाना 30 लाख शिशुओं को संक्रमित करता है। हर वर्ष 2,14,000 नवजात शिशु की सेप्सिस के कारण मौत हो जाती है। यह रोग एंटीबायोटिक प्रतिरोधी हो गया है। इनमें से ज्यादातर मौतें निम्न आैर मध्य आय वाले देशों में होती है।
यह अध्ययन 2018 से 2020 के बीच किया गया आैर इसे 80 शोधार्थियों की एक टीम ने लिखा है। अध्ययन शुक्रवार को पीएलओएस मेडिसीन जर्नल में प्रकाशित हुआ है। यह सेप्सिस से पीड़ित नवजात शिशुओं के उपचार को बेहतर बनाने के लक्ष्य से उच्च गुणवत्ता का आंकड़ा उपलब्ध कराता है।
ग्लोबल एंटीबायोटिक रिसर्च एंड डेवलपमेंट पार्टनरशिप के कार्यकारी निदेशक माणिक्य बालासेगारम ने कहा, ”अस्पतालों में नवजात शिशुओं में देखे जाने वाले संक्रमण के स्वरूप, इसके कारक, ज्यादा संख्या में हो रही मौतों आैर उपचार को बेहतर तरीके से समझने के लिए यह अध्ययन करने की जरूरत थी।
उन्होंने कहा, ”अध्ययन से हमें महत्वपूर्ण जानकारी मिली है जो हमें क्लिनिकल परीक्षण को बेहतर तरीके से तैयार करने आैर सेप्सिस से ग्रसित बच्चों की देखभाल को बेहतर करने में मदद करेगा।””
उल्लेखनीय है कि अपनी अविकसित प्रतिरक्षा प्रणालियों के चलते नवजात शिशु को गंभीर संक्रमण होने का खतरा अधिक रहता है।
जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (जिपमेर),पुडुचेरी में एसोसिएट डीन एवं नियोनेटोलॉजी विभाग के प्रोफेसर निशाद पलक्कल ने कहा, ”अध्ययन का एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण निष्कर्ष सेप्सिस से नवजात शिशुओं की मौत में भिन्नता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि लोग कहां रहते हैं।””
जोहानिसबर्ग, दक्षिण अफ्रीका स्थित क्रिस हेनी बरागवानथ एकेडमिक हॉस्पिटल में बाल रोग विभाग के प्रमुख सितेमबिसो वेलफी ने कहा, ”अध्ययन में, विशेष रूप से अस्पतालों में एंटीबायोटिक प्रतिरोधी संक्रमण के बारे में वास्तविकता सामने आई है, जहां हम अक्सर नर्स, बिस्तर आैर जगह की कमी का सामना करते हैं।””
उन्होंने कहा, ”संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा है आैर ज्यादातर संक्रमण एंटीबायोटिक प्रतिरोधी है। यदि एंटीबायोटिक दवा प्रभावकारी नहीं रहती है तो अक्सर शिशु की मौत हो जाती है। हमें ऐसे एंटीबायोटिक की जरूरत है जो जीवाणु से होने वाले सभी संक्रमणों के उपचार में कारगर हो।””
अध्ययन में, अस्पतालों द्वारा 200 से अधिक अलग-अलग एंटीबायोटिक संयोजन का इस्तेमाल किया गया।