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लखनऊ। अब क्षय रोग ( टीबी) का इलाज आैर सटीक हो सकेगी। इससे बीमारी के नियंत्रण व समाप्त करने के लिए रोकने में मदद मिलेगी। इसके लिए किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय टी -स्पाट किट से टीबी की पहचान की जा सकेगी। डाक्टरों का दावा है कि टी स्पाट किट से 93 प्रतिशत तक टीबी की पहचान की जा सकेगी।
अभी तक टीबी की जांच के लिए बलगम की माइक्रोस्कोपिक जांच की होती है। एलाइजा जांच से भी टीबी की पहचान की जाती है। इससे 84 प्रतिशत सटीक जांच का दावा किया जाता है। 16 प्रतिशत टीबी होने के बाद भी पुष्टि नहीं हो पाती है। इसके अलावा ट¬ूबरक्यूलीन स्किन जांच से 70 प्रतिशत टीबी की जांच हो जाती है। तीस प्रतिशत की रिपोर्ट निगेटिव आती है।
टीबी की नयी जांच से संक्रमण की सटीक जांच होने का दावा डाक्टरों ने किया है। टी- स्पाट जांच से अधिक प्रभावी होगी, लेकिन इससे भी 93 प्रतिशत मरीजों में टीबी की पुष्टि हो सकेगी। केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रमुख डा. अमिता जैन ने बताया कि समय पर सटीक जांच न होने से, समय पर इलाज न होने पर दूसरे को संक्रमण कर सकता है। उन्होंने बताया कि लक्षण मिलने पर टीबी की जांच होने चाहिए। कई बार शरीर में बैक्टीरिया की मौजूदगी होने के बाद भी बीमारी की पुष्टि नहीं हो पाती है। इसमें टी स्पॉट किट सटीक कर सकेगी। वरिष्ठ डा. शीतल वर्मा का कहना है कि टीबी की पुष्टि होने के बाद इलाज बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। अक्सर लोग बीच में इलाज छोड़ कर दूसरे को संक्रमित करते है।