Kgmu : Third kidney transplant successful

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में किडनी प्रत्यारोपण सफलता पूर्वक होने लगे है। विशेषज्ञ डाक्टरों को शनिवार को तीसरी किडनी प्रत्यारोपण करने में सफलता मिली। पीजीआई के विशेषज्ञ डॉक्टरों के सहयोग से प्रत्यारोपण किया गया। इस प्रत्यारोपण में पत्नी ने किडनी दान करके पति को नयी जिंदगी दी है। प्रत्यारोपण के बाद मरीज व दाता की तबीयत स्थिर है।

 

 

 

 

डॉक्टरों ने स्वास्थ्य निगरानी के लिए दोनों को आईसीयू में रखा गया है। सफल किडनी प्रत्यारोपण पर केजीएमयू कुलपति डा. विपिन पुरी ने केजीएमयू व पीजीआई के डाक्टरों व उनकी टीम को बधाई दी है।
बिहार निवासी राजन (35) को लगभग 18 महीने पहले से किडनी से जुड़ी बीमारी होने पर जांच करायी, तो क्रॉनिक किडनी डीसीज (सीकेडी) की पुष्टि हुई। डॉक्टरों ने दवाओं से बीमारी को रोकने को निंयंत्रित करना शुरू किया, लेकिन दवा के बाद भी बीमारी बढ़ती ही गयी। कोई लाभ न होने पर मरीज की डायलिसिस शुरू की गयी। डॉक्टरों ने किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता बतायी। परिजनों ने निजी अस्पताल में सात से आठ लाख रुपये का खर्च का पता चला, तो परिजनों ने आर्थिक संकट होने पर खर्च करने में असमर्थता जाहिर की।
इसी दौरान केजीएमयू में किडनी प्रत्यारोपण होने का पता चलने पर लगभग चार महीने पहले परिजन मरीज को लेकर यहां नेफ्रोलॉजी विभाग की ओपीडी में पहुंचे। यहां नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. विश्वजीत सिंह व डॉ. लक्ष्य ने मरीज ने जांच के बाद किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत बतायी।
परिजनों के किडनी प्रत्यारोपण के लिए तैंयार होने पर 27 वर्षीय पत्नी ने किडनी दान करने का निर्णय लिया। पति व पत्नी की ब्लड व अन्य जांच में सब सही निकला। शनिवार को शताब्दी फेज एक के आपरेशन थियेटर में प्रत्यारोपण की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी।
किडनी प्रत्यारोपण आैर सटीक करने के लिए पीजीआई नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. नारायण प्रसाद, यूरोलॉजी विभाग के डॉ. उदय प्रताप, केजीएमयू यूरोलॉजी विभाग प्रमुख डॉ. एसएन शंखवार, वरिष्ठ डॉ. विश्वजीत के निर्देशन में प्रत्यारोपण की प्रक्रिया शुरू की गयी। टीम में डॉ. लक्ष्य व डॉ. विवेक व अन्य डाक्टर भी मौजूद थे। पहले सर्जरी कर पत्नी का किडनी ली गयी। इसके बाद ओपेन सर्जरी कर मरीज में पत्नी का किडनी प्रत्यारोपित किया गया।

 

 

 

 

विशेषज्ञ डॉक्टरों ने बताया कि किडनी प्रत्यारोपण पर कुल तीन लाख रुपए खर्च आया है, जबकि यही प्रत्यारोपण प्राइवेट संस्थान में आठ से नौ लाख रुपये में हो रहे हैं। इसमें दवा से लेकर जांच तक शामिल हैं।

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